SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 103

असम फायरिंग को अवैध कब्ज़े से ज़मीन ख़ाली कराने के मसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए

-द वायर, असम में हाल में हुई हिंसा ने देश का ध्यान खींचा है. दरांग जिले में सिपाझार के धालपुर 2 के गोरुखुटी में पुलिस की गोली से दो लोग मारे गए. इसकी खबर असम के अखबारों ने किस तरह छापी? अंग्रेज़ी अखबार ‘सेंटिनल’ से एक नमूना देखिए, ‘सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन के एक बड़े अभियान के दौरान इलाके के हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. जब...

More »

भारत की जेलों में महिला क़ैदियों की ज़िंदगी केवल शोक के लिए अभिशप्त है…

-द वायर, सिर्फ एक पंखे और एक बल्ब की जरूरत वाले एक छोटे से कमरे में 45 औरतों को रखने के लिए प्रेसिडेंसी सुधार गृह (करेक्शनल होम) के अधिकारियों ने एक तरकीब निकाली: औरतों की शरीर का नाप लेकर उन्हें उनके आकार के ठीक बराबर की सोने की जगह आवंटित करने की. यह वाकया अपराजिता बोस ने सुनाया. जेलों में समय बिताने वाले लोगों के साथ ज्यादातार चर्चाओं जो एक शिकायत आमतौर...

More »

क्या रेप पीड़ित दलित लड़कियां और महिलाएं न्याय के लिए ज्यादा चुनौतियां झेलती हैं? हर दिन 10 दलित महिलाओं के साथ हो रहा रेप

-गांव कनेक्शन,  पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचने वाला हाथरस का केस हो या राजस्थान में अजमेर को बंधक बनाकर 8 घंटे तक महिला के साथ गैंगरेप, दोनों ही पीड़िताएं दलित समुदाय से थीं। दोनों मामलों की जांच जारी है, न्याय और तथ्यों की बातें कोर्ट में होंगी। पर इस पर अभी तक जो टीका-टिप्पणी हुई है वो ये समझने के लिए काफी है कि जब किसी दलित पीड़िता के...

More »

NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...

More »

उत्तर भारतीयों का भी है भारत -- आर के सिन्हा

गुजरात में पिछली 28 सितंबर को अहमदाबाद से सौ किमी दूर बनासकांठा के हिम्मतनगर शहर के पास एक दुधमुंही बच्ची के साथ बलात्कार की घटना के बाद वहां के बहुत से हिस्से में बिहारी और उत्तर प्रदेश के मजदूरों के साथ योजनाबद्ध तरीके से मारपीट होती रही. मारपीट से डरे-सहमे अपनी जान बचाने के लिए अब तक पचास हजार से ज्यादा उत्तर भारतीय श्रमिक अपने घरों को लौट गये हैं....

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close