[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
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महामारी के समय में बजट और राजनीति
-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...
More »बजट 2022-23: क्या सार्वजनिक निवेश पर आधारित विकास रणनीति वांछनीय और विश्वसनीय है?
-आइडियाज फॉर इंडिया, सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए वर्ष 2022-23 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस संदर्भ में, आर. नागराज भारत के वर्तमान नीति अभिविन्यास और उद्योग एवं बुनियादी अवसरंचना में हाल में किये गए निवेश के परिणामों की जांच करते हैं। वे तर्क देते हैं कि उद्योग पर...
More »केंद्रीय बजट 2022-23 में पूंजीगत खर्च बढ़ाने के पीछे का सच
-न्यूजक्लिक, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2022-23 एक ही जुनून (obsession) पर आधारित है। यह जुनून बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) बढ़ाने का है। धारणा यह है कि इस तरह के big-ticket वाले बुनियादी ढांचे के खर्च से अतिरिक्त मांग पैदा होगी और निजी निवेश का खुद ही प्रवेश होगा, और इस तरह विकास को बढ़ावा मिलेगा। न्यूज़क्लिक ने पूर्व वित्त सचिव श्री एस.पी. शुक्ला से केंद्रीय...
More »स्वास्थ्य बजट: कोरोना के भयानक दौर को क्या भूल गई सरकार?
-न्यूजक्लिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 के स्वास्थ्य बजट से इस क्षेत्र के जानकार आहत,दुःखित और आक्रोशित हैं। पूर्व स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार के. सुजाता राव कहती हैं- "कोविड-19 के कारण 30 लाख लोगों की मृत्यु होने का अनुमान है जो किसी भी दृष्टि से अस्वीकार्य है। मौत का यह आंकड़ा कम हो सकता था, लोगों की अकल्पनीय पीड़ा में भी कमी लाई जा सकती थी यदि हमारा स्वास्थ्य तंत्र ठीक ठीक काम...
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