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कर्ज - आत्महत्या | नीतिगत पहल

नीतिगत पहल

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राष्ट्रीय किसान आयोग ने नीतिगत उपायों के तहत सुझाव दिया है कि किसानों के लिए जीविका की सुरक्षा की दृष्टि से एक पैकेज तैयार किया जाय। इसके अन्तर्गत किसानों को पारिस्थितिकी और बाजार की मांगों के अनुकूल किसानी के लिए प्रौद्योगिकी चुनने की छूट दी जानी चाहिए। मिट्टी की उवर्रा शक्ति की रक्षा और संवर्धन तथा जल-संरक्षण के लिए उपाय किए जाने चाहिए। ध्यान रखा जाना चाहिए कि खेती में इस्तेमाल होने वाले साजो सामान उच्च गुणवत्ता के हों और किसानों को सही वक्त पर कर्ज और बीमा की सुविधा मिल जाय। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत किसानों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए।

 

सरकार ने कर्ज माफी और राहत के अपने वायदे के तहत ३१ दिसंबर २००७ तक अधिसूचित व्यावसायिक बैंक और सहकारी समितियों से लिए गए कर्जों को माफ कर दिया है। यह कर्ज माफी सीमांत और छोटे किसानों को दी गई है।

 

अन्य किसानों के बारे में प्रावधान किया गया है कि अगर वे कर्ज की बकाया रकम एकमुश्त चुकाते हैं तो चुकायी जानी वाली रकम में से २५ फीसदी माफ कर दिया जाएगा। 

 

कर्ज माफी की इस योजना के तहत उन किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा जिन्होंने निजी श्रेणी के बैंकों से कर्ज लिए हैं। शुष्क और कम उर्वरा शक्ति की जमीन पर खेती करने वाले २ एकड़ से ज्यादा जमीन की मिल्कियत वाले किसानों को भी इस कर्ज माफी का कोई लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि कई अध्ययनों से स्पष्ट है कि ऐसे इलाकों के किसान आजीविका की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।

 

केरल की सरकार ने एक कर्ज राहत आयोग की स्थापना की है। इसका उद्देश्य गंभीर खेतिहर संकट से जूझ रहे इलाकों और कृषक-वर्गों की पहचान करना और इसके अनुकूल किसानों को राहत पहुंचाना है।

 

खाद्यान्न के उपार्जन को बढ़ाने और किसानों को उनकी उपज का लाभकर मूल्य देने की कोशिश में सरकार ने २००८-०९ के रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को जनवरी २००९ में बढ़ाया। पहले गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य १००० रुपये प्रति क्विंटल था जिसे बढ़ाकर १०८० रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। धान की सामान्य किस्म के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ७४५ रुपये प्रति क्विंटल था जिसे बढ़ाकर ८५० रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

 



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