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खेतिहर संकट | आँकड़ों में गांव
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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019' (10 सितंबर, 2021 को जारी) नामक रिपोर्ट (देखने के लिए यहां क्लिक करें.) के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं,

2019 में 50 प्रतिशत से अधिक कृषि परिवार कर्ज में थे और प्रत्येक कृषि परिवार पर बकाया ऋण की औसत राशि 74,121 रुपये थी.

2013 में पेश किए गए सर्वेक्षण की तुलना में कर्ज में छह साल पहले डूबे परिवारों का प्रतिशत 51.9 फीसदी से थोड़ा कम हुआ है वहीं, प्रत्येक कृषि परिवार ऋण की औसत राशि में 57.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है. छह साल पहले (2013) में औसत कर्ज 47,000 रुपये था.

कुल ऋण में से केवल 57.5 प्रतिशत खेती कार्यों के लिए लिया गया था। इसके अलावा, केवल 69.6 प्रतिशत बकाया ऋण संस्थागत स्रोतों जैसे बैंकों, सहकारी समितियों और सरकारी एजेंसियों से लिया गया था, जबकि 20.5 प्रतिशत ऋण साहूकारों से लिया गया था.

औसत बकाया ऋण के मामले में कुल 28 राज्यों में आंध्र प्रदेश (एपी) पर सबसे अधिक औसत बकाया 2.45 लाख रुपये का ऋण है. इसके अलावा कर्ज में डूबे कृषि परिवारों के मामले में भी यह राज्य शीर्ष (93.2 प्रतिशत) पर है. इसके बाद कर्ज में डूबे कृषि परिवारों के मामले में तेलंगाना (91.7 प्रतिशत) और केरल (69.9 प्रतिशत) का स्थान है.

कम से कम 11 राज्यों में कृषि परिवारों का बकाया ऋण राष्ट्रीय औसत 74,121 रुपये से अधिक है. इनमें से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तमिलनाडु के पास 1 लाख रुपये से अधिक की ऋण राशि थी.

सर्वेक्षण के लिए एक कृषि परिवार को कृषि गतिविधियों से उपज के मूल्य के रूप में 4000 रुपये से अधिक प्राप्त करने वाले परिवार के रूप में परिभाषित किया गया था (उदाहरण के लिए, खेत की फसलों की खेती, बागवानी फसलों, चारा फसलों, वृक्षारोपण, पशुपालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, सुअर पालन , मधुमक्खी पालन, वर्मीकल्चर, सेरीकल्चर, आदि) और पिछले 365 दिनों के दौरान कृषि में कम से कम एक सदस्य स्व-नियोजित या तो प्रमुख स्थिति में या सहायक स्थिति में रहा हो.

कृषि परिवारों की औसत आय 2013 में 6,426 रुपये से बढ़कर 2019 में 10,218 रुपये हो गई. कुल औसत आय में सबसे अधिक हिस्सा 4,063 रुपये की मजदूरी से आय का था, इसके बाद फसल उत्पादन से 3,798 रुपये, पशुपालन से 1,582 रुपये, गैर-कृषि व्यवसाय 641 रुपये तथा भूमि पट्टे से 134 रुपये की आय थी.

कृषि वर्ष जुलाई 2018-जून 2019 के दौरान अनुमानित कृषि परिवारों की संख्या 9.3 करोड़ है, जबकि गैर कृषि परिवारो की संख्या 7.93 करोड़ (79.3 मिलियन) अनुमानित है.

9.3 करोड़ कृषि परिवारों में पिछड़ा वर्ग (OBC) 45.8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) 15.9 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (SCST) 14.2 प्रतिशत और अन्य 24.1 प्रतिशत है.

83.5 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) से भी कम जमीन है। महज 0.2 फीसदी के पास 10 हेक्टेयर (25 एकड़) से अधिक जमीन है.




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