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खेतिहर संकट | घटती आमदनी
घटती आमदनी

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नेशनल कमीशन ऑन एम्पलॉयमेंट इन अन-आर्गनाइज्ड सेक्टर(एनसीईयूएस) के दस्तावेज रिपोर्ट ऑन कंडीशन ऑव वर्क एंड प्रोमोशन ऑव लाइवलीहुड इन द अन-आर्गनाइज्ड सेक्टर के अनुसार- 
 
http://nceus.gov.in/Condition_of_workers_sep_2007.pdf:

· भारत के ग्रामीण इलाके में खेती से होने वाली आमदनी का हिस्सा ४६ फीसदी है जबकि मजदूरी से होने वाली आमदनी का हिस्सा भी काफी बड़ा यानी ३९ फीसद है।ग्रामीण भारत के बारे में एक तथ्य यह है कि कुल किसान परिवारों में ४५ फीसद के पास १ हेक्टेयर से भी कम जमीन है।इसी कारण ग्रामीण इलाकों में किसान परिवारों की कुल आमदनी का एक बड़ा हिस्सा मेहनत-मजदूरी से आता है ना कि खेतिहर उपज से।एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान परिवार भरण-पोषण के लिए खेती के साथ-साथ मजदूरी पर भी निर्भर हैं।

· राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो खेती से होने वाली मासिक आय ९६९ रुपये है।इस आकलन में भूमि के हर वर्ग यानी सीमांत से लेकर बड़े किसानों तक को शामिल किया गया है। सीमांत किसान की खेती से होने वाली मासिक आमदनी ४३५ रूपये है जबकि बड़े किसान की ८३२१ रुपये।

· सीमांत किसान की औसत आमदनी बड़े किसान की औसत आमदनी से बीस गुना कम है।

· चूंकि छोटे और सीमांत किसानों की संख्या बहुत ज्यादा और आमदनी बहुत कम है इसलिए हर भूमि-वर्ग के किसानों को एक साथ मिलाकर खेती से होने वाली मासिक आमदनी का आकलन राष्ट्रीय स्तर पर करने पर आमदनी का औसत कम आता है।

· खेती के साथ-साथ आमदनी के बाकी स्रोतों को भी मिला दें तो राष्ट्रीय स्तर पर एक किसान परिवार की मासिक आमदनी २११५ रुपये आती है और इस आमदनी को प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखें तो राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा महज ३८५ रूपये मासिक का आता है।अलग-अलग भूमि-वर्ग के किसान परिवारों के बीच मासिक आमदनी का अन्तर भी बहुत ज्यादा है।एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान परिवार की औसत मासिक आमदनी जहां १३८० रूपये है वहीं १० हेक्टेयर और उससे ज्यादा की मिल्कियत वाले किसान परिवार की औसत मासिक आमदनी ९६६७ रुपये है।

· खेती के अतिरिक्त बाकी अन्य स्रोतों से होने वाली आमदनी को एक साथ करें तो सबसे ज्यादा मासिक आमदनी जम्मू-कश्मीर के किसान परिवारों की(लगभग ५५०० रुपये) है।इसके बाद नंबर आता है पंजाब(४९६० रूपये) और केरल का(४००४ रूपये) ।सबसे कम मासिक आमदनी(१०६२रूपये) उड़ीसा के किसान परिवारो की है।कम आमदनी वाली किसान परिवारों में मध्यप्रदेश का स्थान दूसरा(१०६२ रूपये) और राजस्थान का तीसरा(१५०० रूपये) है।

· किसान-परिवारों के मामले में जहां तक औसत खर्च का सवाल है,जमीन के बढ़ते आकार के साथ-साथ इसमें इजाफा होता देखा गया है।बड़े किसान की कोटि में आने वाले परिवारों का औसत मासिक खर्च ६००० रुपये से ज्यादा है।राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक किसान परिवार का औसत मासिक खर्च २७७० रूपये और औसत मासिक आमदनी २११५ रूपये है।इससे संकेत मिलते हैं कि किसान परिवारों की औसत मासिक आमदनी से उनका औसत मासिक खर्च कहीं ज्यादा है- छोटे और सीमांत किसान परिवारों पर यह बात विशेष रूप से लागू होती है।

· आकलन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिन किसान परिवारों के पास २ हेक्टेयर से कम जमीन है उनकी मासिक आमदनी उनके मासिक खर्चे से कम है।दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान परिवार अपने भरण पोषण के लायक आमदनी नहीं जुटा पा रहे हैं।

· कुल मिलाकर देखें तो,खेतिहर मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी बहुत कम है और इस मजदूरी में १९९३-९४ से लेकर २००४-०५ के बीच यानी एक दशक में बढ़ोत्तरी की दर बढ़ने के बजाय घटी है।



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