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भूख | भुखमरी-एक आकलन
भुखमरी-एक आकलन

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आईएफएडी, डब्ल्यू एफ पी और एफएओ द्वारा प्रस्तुत द स्टेट ऑव फूड इन्स्क्यूरिटी इन द वर्ल्ड- हाऊ डज इंटरनेशनल प्राईस वोलाटिलिटी अफेक्ट डोमेस्टिक इकॉनॉमिज एंड फूड सिक्यूरिटी नामक दस्तावेज के अनुसार http://www.fao.org/docrep/014/i2330e/i2330e.pdf

 

•  साल 2006-08 में भारत में आहार की कमी के शिकार लोगों की संख्या 22 करोड़ 40 लाख 60 हजार थी जबकि चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में इसी अवधि में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या क्रमश 12 करोड़ 90 लाख 60 हजार , 4 करोड़ 10 लाख 40 हजार30 लाख 90 हजार और 4 करोड़ 20 लाख 80 हजार थी।

 

 

 

साल 1995-97 में भारत में भोजन के अभाव के शिकार लोगों की संख्या 16 करोड़ 70 लाख 10 हजार से बढ़कर 20 करोड़ 80 लाख तक पहुंची थी। यह तादाद साल 2000-02 में बढ़कर 22 करोड़ 40 लाख 60 हजार के आंकड़े तक पहुंच गई।

 

 

 

साल 2006 में भारत में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या कुल आबादी में 19 फीसदी थी जबकि चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में इसी अवधि में कुल आबादी में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या क्रमश 10 फीसदी, 26 फीसदी, 20 फीसदी और 25 फीसदी थी।

 

 

 

भारत की कुल आबादी में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या साल 1995-96 में 17 फीसदी थी जो बढ़कर साल 2000-02 में 20 फीसदी तक पहुंच गई, साल 2006-08 में इस तादाद में हल्की सी कमी(19 फीसदी) आई थी।

 

 

 

साल 2006-08 के खाद्यान्न संकट के समय चावल और गेहूं की घरेलू कीमतें चीन भारत और इंडोनेशिया में स्थिर रहीं क्योंकि इन देशों में सरकार ने इनके निर्यात पर अंकुश लगा रखा था।

 

 

 

भारत में किसान आमदनी में होने वाली तेज घट-बढ़ के कारण बैलों की खरीददारी पर कम खर्च करते हैं।

 

 

 

साल 2007 और 2008 के बीच एशिया में आहार की कमी के शिकार लोगों की संख्या तकरीबन स्थिर( महज 0.1 फीसदी का इजाफा) रही जबकि इसी अवधि में अफ्रीका में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या 8 फीसदी बढ़ी।

 

 

 

विश्व-बाजार में खाद्य-वस्तुओं की कीमतें, मुद्रास्फीति के स्थिति के हिसाब से अनुकूलित किए जाने पर, साल 1960 के दशक के शुरुआती सालों से नीचे आनी शुरु हुईं और साल 2000 के दशक के आरंभिक सालों में ऐतिहासिक रुप से सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंची। साल 2003 से कीमतों में इजाफा शुरु हुआ, फिर साल 2006 से 2008 के बीच कीमतों में तेज गति से बढ़ोतरी हुई।

 

 

 

द ऑर्गनाईजेशन फॉर इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट(ओईसीडी) तथा एफएओ एग्रीकल्चरल आऊटलुक 2011-2020 का आकलन है कि विश्व-बाजार में चावल, गेहूं,मकई और तेलहन के दामों में 2015/16 से 2019/20 के बीच गुजरी 1998/99 से 2002/03 की अवधि की तुलना में क्रमश 40, 27, 48 और 36 फीसदी का इजाफा होगा।

 


 

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