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भूख | भुखमरी-एक आकलन
भुखमरी-एक आकलन

भुखमरी-एक आकलन

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ब्रेड फॉर वर्ल्ड इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित 2013 हंगर रिपोर्ट- विदिन रीच ग्लोबल डेवलपमेंट गोल्स्(2012) नामक दस्तावेज के अनुसार  http://www.hungerreport.org/2013/report

 

भारत ने साल 1990 के बाद से सालाना 7 फीसदी या इसे ऊंची वृद्धि दर हासिल करने के में सफलता पायी है लेकिन इस देश में बच्चों की तकरीबन आधी तादाद(48 फीसदी) कुपोषण की शिकार है और भारत में मौजूदा बाल-मृत्यु दर 40 फीसदी के आसपास है जिसको देखते हुए नहीं लगता कि भारत इस मामले में सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को पूरा कर पाएगा।

 

बांग्लादेश भारत की तुलना में एक गरीब देश है, साल 1990 से लेकर अबतक बांग्लादेश में सालाना 3 फीसदी की वृद्धि-दर रही है लेकिन इसी अवधि में बांग्लादेश में कुपोषण के शिकार बच्चों की तादाद 68 फीसदी से घटकर 43 फीसदी हो गई है।

 

साल 2002 से साल 2010 के बीच भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सालाना औसतन 8 फीसदी की वृद्धि हुई। इसी अवधि में ब्राजील का सकल घरेलू उत्पाद सालाना 4 फीसदी की दर से बढ़ा लेकिन ब्राजील प्रतिवर्ष 4.2 फीसदी की दर से गरीबी घटाने में सफल हुआ जबकि भारत में इस अवधि में गरीबी के घटने की दर 1.4 रही।

 

जिन बीमारियों से बड़ी आसानी से बचा जा सकता है उन बीमारियों से मरने वाले बच्चे और स्त्रियों के मामले में भारत बाकी सारे देशों से आगे है। भारत में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है और गरीबों की भी। ब्राजील और चीन भी भारत के ही समान उभरती हुई आर्थिक महाशक्तियां हैं लेकिन इन दो देशों की तुलना में भारत भुखमरी को मिटाने के मामले में बहुत पीछे है। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों में से एक यानि भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या को 2015 तक आधी करना, चीन और ब्राजील में हासिल किया जा चुका है लेकिन इस मामले में मौजूदा दर के हिसाब से देखें तो भारत यह लक्ष्य 2042 में पूरा कर पाएगा।

 

 

भारत में (0-59 माह के) मानक से कम वज़न के बच्चों की संख्या गरीब परिवारों में साल 1993 में 64 फीसदी थी जो साल 2006 में घटकर 61 फीसदी रह गई। जबकि ऐसे बच्चों की संख्या धनी परिवारों में साल 1993 में 37 फीसदी थी जो साल 2006 में घटकर 25 फीसदी रह गई। जाहिर है, मानक से कम वज़न के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा देश के 20 फीसदी समृद्धि परिवारों में घटी।

 

नए राष्ट्रीय खाद्य-सुरक्षा कानून के अनुसार भारत के कुल 24 करोड़ परिवारों में से 18 करोड़ परिवारों को अनुदानित मूल्य पर राशन मिलेगा। नागरिक संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि खाद्य-सुरक्षा को पोषणगत सुरक्षा से जोड़कर देखा जाय।.

 

विकास के मोर्चे पर भारत की चुनौतियों को देखना हो तो प्राथमिक शिक्षा के मामले में देखिए, इस मामले में भारत के कुछ हिस्सों की प्रगति बस उतनी ही है जितनी युद्धग्रस्त अफगानिस्तान या यमन में। ये देश मानव-विकास सूचकांक के मामले में सबसे नीचे के देश हैं।

 

पश्चिम बंगाल में बाल-मृत्यु दर केरल की तुलना में तीन गुना ज्यादा है. इसका कारण ? पश्चिम बंगाल में तकरीबन 50 फीसदी अभिभावकों का मानना है कि बच्चे को डायरिया हो जाय तो उसे तरल आहार नहीं देना चाहिए, जबकि डायरिया का उपचार ठीक इसका उल्टा कहता है। केरल में 5 फीसदी से कम अभिभावक मानते हैं कि बच्चे को डायरिया होने पर तरल आहार नहीं देना चाहिए।.

 

बच्चे के आहार के बारे में कम समझ और साफ-सफाई की कमी भारत में बाल-मृत्यु दर को ऊँचा बनाने के प्रमुख कारणों में एक है।

 

भारत के जल-संसाधन का 90 फीसदी हिस्सा कृषिक्षेत्र में खप जाता है, लेकिन इसमें से महज 10-15 फीसदी का ही इस्तेमाल फसलों की पटवन में हो पाता है, शेष व्यर्थ चला जाता है।

 

साल 2012 में चीन की आबादी 135 करोड़ है भारत की 126 करोड़। साल 2050 तक मौजूदा दर के हिसाब से भारत की आबादी विश्व में सर्वाधिक यानि 169 करोड़ हो जाएगी जबकि चीन की आबादी 131 करोड़ होगी। साल 2030 तक वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न की मांग में अनुमानतया 50 फीसदी की बढोत्तरी होगी।

 

साल 2009-10 में भारत में कुल भूक्षेत्र का 60.5 फीसदी हिस्सा कृषिभूमि के रुप में था जबकि इस अवधि में चीन के कुल भूक्षेत्र का 56.2 फीसदी हिस्सा कृषिभूमि के रुप में था। साल 2007-10 की अवधि में प्रति हैक्टेयर खाद्यान्न की ऊपज भारत में 2537 किलोग्राम थी जबकि चीन में 5521 किलोग्राम।  

 

दक्षिण एशिया में समृद्धतम 20 फीसदी परिवारों में 94 फीसदी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान समचित देखभाल की सुविधा हासिल होती है जबकि निर्धनतम 20 फीसदी परिवारों में महज 48 फीसदी महिलाओं को ऐसी सुविधा हासिल होती है।

 

साल 1990 में वैश्विक स्तर पर मानक से कम लंबे(उम्र के आधार पर लंबाई)  बच्चों की संख्या 25 करोड़ 30 लाख थी जो साल 2011 में घटकर 16 करोड़ 50 लाख हो गई, यानि इस अवधि में मानक से कम लंबे बच्चों की संख्या में 35 फीसदी की कमी आई।

 

 

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