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भूख | मानव विकास सूचकांक
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मार्च 2012 में योजना आयोग द्वारा जारी गरीबी संबंधी आकलन(2009-10) से संबंधित प्रेसनोट के अनुसार  http://planningcommission.gov.in/news/press_pov1903.pdf

• भारत में गरीबों की संख्या (हेडकाऊंट रेशियो-एचसीआर) साल 2004-05 की तुलना में 2009-10 में 7.3 फीसदी घटी है। साल 2004-05 में गरीबों की संख्या 37.2%  थी जो साल 2009-10 में घटकर 29.8% फीसदी हो गई। ग्रामीण इलाकों में गरीबों की संख्या 8.0 फीसदी कम हुई है(41.8% से घटकर 33.8%) और शहरी इलाके में 4.8 फीसदी(25.7% से घटकर 20.9%).  

• हिमाचलप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिसा, सिक्किम. तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तराखंड में गरीबों की संख्या में 10 फीसदी या इससे ज्यादा की कमी आई है।.  

• असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड में साल 2009-10 में गरीबों की संख्या बढ़ी है। 
 
• बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश जैसे कुछ बड़े राज्यों में गरीबों की संख्या में मामूली कमी आई है, खासकर ग्रामीण इलाको में।.

गरीबों का अनुपात- विभिन्न सामाजिक वर्गों में

• ग्रामीण इलाको में, अनुसूचित जनजातियों में गरीब व्यक्तियों की तादाद सबसे ज्यादा (47.4%) है, इसके बाद अनुसूचित जाति (42.3%) और अन्य पिछड़ा वर्ग(31.9%) में गरीबों की संख्या क्रमागत रुप से ज्यादा है। सभी वर्गों को एकसाथ करके देखें तो गरीबों की तादाद  का औसत 33.8% निकलकर आता है।.
  
• शहरी इलाको में अनुसूचित जातियों के बीच गरीब व्यक्तियों की संख्या 34.1% है और अनुसूचित जनजातीय के व्यक्तियों के बीच 30.4% तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में 24.3% जबकि सभी वर्गों के बीच गरीबों की तादाद का  औसत 20.9% है।.  

• बिहार और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जाति-जनजाति के तकरीबन दो तिहाई व्यक्ति गरीब हैं जबकि मणिपुर, ओडिसा और उत्तरप्रदेश में इन सामाजिक वर्गों के बीच गरीब लोगों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है।

गरीबों का अनुपात- पेशेवर श्रणियों में

• ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 50%  खेतिहर मजदूर और 40% अन्य श्रेणी के मजदूर गरीबी रेखा से नीचे हैं जबकि शहरी इलाके में दिहाड़ी मजदूरों के बीच गरीबों की संख्या 47.1% है.

• अपेक्षा के अनुरुप, नियमित आमदनी अथवा वेतनशुदा नौकरी में लगे लोगों के बीच गरीब व्यक्तियों की संख्या बहुत कम है। कृषि-समृद्ध हरियाणा में तकरीबन 55.9% खेतिहर मजदूर गरीब हैं जबकि पंजाब में 35.6%.

• बिहार के शहरी इलाके में दिहाड़ी मजदूरी करने वालों में गरीबों की संख्या बहुत ज्यादा (86%) है, जबकि असम (89%), ओडिसा (58.8%), पंजाब (56.3%), उत्तरप्रदेश (67.6%)  तथा पश्चिम बंगाल में (53.7%) 50 फीसदी से ज्यादा.

 
 

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