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भूख | मानव विकास सूचकांक
मानव  विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक

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What's Inside

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी की गई [inside]मानव विकास रिपोर्ट 2020: द नेक्सट फर्न्टियर – ह्युमन डेवलपमेंट एंड द मानव विकास और एंथ्रोप्रसीन (दिसंबर 2020 में जारी)[/inside] के अनुसार (देखने के लिए कृपया यहां, यहां, यहां, यहां, यहां और यहां क्लिक करें):

मानव विकास

मानव विकास रिपोर्ट 2020 में साल 2019 के लिए 189 देशों का मानव विकास सूचकांक(मान और रैंक) और 152 देशों के लिए असमानता-समायोजित मानव विकास सूचकांक (IHDI) के साथ-साथ 167 देशों के लिए लैंगिक (जेंडर) विकास सूचकांक (GDI), 162 देशों के लिए लैंगिक (जेंडर) असमानता सूचकांक (GII), और 107 देशों के लिए बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) प्रस्तुत किया गया है.

• 2019 में, 189 देशों और संयुक्त राष्ट्र के मान्यता प्राप्त प्रदेशों के बीच भारत की मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) रैंकिंग 131वीं (एचडीआई वेल्यू 0.645) थी, जबकि चीन की रैंकिंग 85वीं (एचडीआई वेल्यू 0.761), श्रीलंका की 72वीं (एचडीआई वेल्यू 0.782), भूटान की 129वीं (एचडीआई वेल्यू 0.654), बांग्लादेश की 133वीं (एचडीआई वेल्यू 0.632) और पाकिस्तान की 154वीं (एचडीआई वेल्यू 0.557) रैंकिंग थी.

• 2019 के लिए भारत की एचडीआई वेल्यू 0.645-- है, जिससे कि देश को मध्यम मानव विकास श्रेणी में स्थान मिला है – यह 189 देशों में से 131वें नंबर पर है.

• 189 देशों और संयुक्त राष्ट्र मान्यता प्राप्त क्षेत्रों में साल 2018 के लिए भारत की एचडीआई रैंक 130 थी, जो साल 2019 में कम होकर 131वें स्थान पर खिसक गई है. भारत के मामले में, मानव विकास रिपोर्ट 2020 पर भारत के लिए ब्रीफिंग नोट के अनुसार, 2019 के लिए एचडीआई का वेल्यू 0.645 था और 2018 के लिए यह 0.642 था.

मानव विकास रिपोर्ट 2019: आजीविका, औसत, आज से परे: 21 वीं सदी में मानव विकास में असमानताएं (दिसंबर 2019 में जारी) रिपोर्ट में साल 2018 के लिए 189 देशों में भारत की मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) रैंकिंग 129 वीं (एचडीआई मान 0.117) थी.

क्योंकि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां ​​अपनी डेटा श्रृंखला में लगातार सुधार करती रहती हैं, इसलिए मानव विकास रिपोर्ट 2020 में प्रस्तुत एचडीआई वेल्यू और रैंक सहित डेटा - पहले के संस्करणों में प्रकाशित डेटा के साथ तुलनीय नहीं हैं.

मानव विकास रिपोर्ट 2020 में भारत के लिए संक्षिप्त नोट यह बताता है कि अंतर्निहित डेटा और उद्देश्यों के समायोजन (अर्थात न्यूनतम और अधिकतम मूल्यों) और बदलावों के कारण वेल्यू और रैंकिंग की तुलना करना भ्रामक है. पाठकों को 2020 की विकास रिपोर्ट में तालिका -2 ( मानव विकास सूचकांक रुझान) का हवाला देकर एचडीआई वेल्यूज में प्रगति का आकलन करने की सलाह दी जाती है. यह तालिका -2 संकेतकों, कार्यप्रणाली और समय-श्रृंखला के आंकड़ों पर आधारित है और इस प्रकार, समय के साथ वेल्यू और रैंक में वास्तविक परिवर्तन दिखाती है, जो वास्तविक प्रगति वाले देशों को दर्शाती है. वेल्यूज में छोटे बदलाव को सावधानी के साथ व्याख्या की जानी चाहिए क्योंकि सेंपल भिन्नता के कारण सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं हो सकते हैं. सामान्यतया, किसी भी संयुक्त सूचकांक में तीसरे दशमलव स्थान के स्तर पर परिवर्तन को महत्वहीन माना जाता है.

1990 और 2019 के बीच, भारत के लिए औसत वार्षिक एचडीआई वृद्धि (सुसंगत संकेतक, कार्यप्रणाली और समय-श्रृंखला डेटा के आधार पर) 1.42 प्रतिशत, चीन के लिए 1.47 प्रतिशत, बांग्लादेश के लिए 1.64 प्रतिशत, पाकिस्तान के लिए 1.13 प्रतिशत और श्रीलंका के लिए 0.90 प्रतिशत थी.

1990 और 2019 के बीच, भारत की एचडीआई वेल्यू 0.429 से बढ़कर 0.645 (संगत संकेतक, कार्यप्रणाली और समय-श्रृंखला डेटा के आधार पर) हो गई – यानी 50.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

संकेतकों, कार्यप्रणाली और समय-श्रृंखला के आंकड़ों के आधार पर, 1990 में भारत की एचडीआई वेल्यू 0.429, साल 2000 में 0.495, साल 2010 में 0.579, साल 2014 में 0.616, साल 2015 में 0.624, साल 2017 में 0.640, साल 2018 में 0.642 और साल 2019 में 0.645 थी.

2019 में, जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा 69.7 वर्ष थी, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 12.2 वर्ष थे, स्कूली शिक्षा के वर्ष 6.5 वर्ष और वर्ष 2017 में क्रय शक्ति समता के हिसाब से सकल राष्ट्रीय आय (GNI) प्रति व्यक्ति(पीपीपी) $ 6,681 थी.

1990 और 2019 के बीच, जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा में 11.8 साल की वृद्धि हुई, औसत स्कूली शिक्षा में 3.5 साल और अपेक्षित स्कूली शिक्षा में 4.5 साल की वृद्धि हुई. 1990 और 2019 के बीच भारत का सकल राष्ट्रीय आय (GNI) प्रति व्यक्ति लगभग 273.9 प्रतिशत बढ़ गया है.

भारत के लिए वर्ष 2019 की एचडीआई वेल्यू 0.645 का मान मध्यम मानव विकास समूह के देशों के लिए 0.631 के औसत से ऊपर है और दक्षिण एशिया के देशों के लिए औसत 0.641 से ऊपर है.

वर्ष 2019 के लिए भारत की एचडीआई वेल्यू 0.645 थी. हालांकि, जब असमानता के लिए वेल्यू को छूट दी जाती है, तो एचडीआई 0.475 तक गिर जाता है, जिससे कि एचडीआई आयाम सूचकांकों के वितरण में असमानता के कारण 26.4 प्रतिशत का नुकसान होता है. बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमशः 24.4 प्रतिशत और 31.1 प्रतिशत की असमानता के कारण नुकसान दिखाते हैं. मध्यम एचडीआई देशों के लिए असमानता के कारण औसत नुकसान 26.3 प्रतिशत था और दक्षिण एशिया के लिए यह 25.9 प्रतिशत था. भारत के लिए मानव असमानता का गुणांक 25.7 प्रतिशत था.

साल 2019 में महिलाओं के मामले में भारत की एचडीआई (HDI) वेल्यू 0.573 थी, जोकि पुरुषों की वेल्यू 0.699 के मुकाबले विपरीत थी.

2019 में, भारत के लैंगिक विकास सूचकांक का मूल्य – महिला-पुरुष एचडीआई अनुपात - 0.820 था, जो चीन (जीडीआई मूल्य 0.957), नेपाल (जीडीआई मूल्य 0.933), भूटान (जीडीआई मूल्य 0.921), श्रीलंका (GDI मूल्य 0.955) और बांग्लादेश (GDI मूल्य 0.904) से कम है.

2019 के दौरान, भारत लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) के संदर्भ में 162 देशों के बीच 123वें (GII मूल्य 0.488) स्थान पर था, जबकि चीन 162 देशों में से 39वें (GII मूल्य 0.168) स्थान पर रहा. इसकी तुलना में, बांग्लादेश (GII मूल्य 0.537) और पाकिस्तान (GII मूल्य 0.538) क्रमशः इस सूचकांक पर 133 वें और 135 वें स्थान पर थे.

• 2019 में भारतीय संसद में लगभग 13.5 प्रतिशत सीटें भारतीय महिलाओं के पास थीं, जबकि चीन में 24.9 प्रतिशत महिलाएं संसद की सदस्या थीं.

2009-2019 के दौरान, उच्च और मध्यम प्रबंधन स्तर की नौकरियों में भारतीय महिलाओं की हिस्सेदारी 13.7 प्रतिशत, बांग्लादेश 11.5 प्रतिशत, श्रीलंका 22.5 प्रतिशत, नॉर्वे 32.8 प्रतिशत, यूनाइटेड किंगडम 34.9 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमेरिका 40.9 प्रतिशत थी.

भारत का सैन्य खर्च (अर्थात, सशस्त्र बलों पर सभी मौजूदा और पूंजीगत खर्च, जिसमें शांति सेना शामिल हैं; रक्षा मंत्रालय और रक्षा परियोजनाओं में लगे हुए अन्य सरकारी एजेंसियां; अर्धसैनिक बल, यदि इन्हें सैन्य अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है;) भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में 2.4 प्रतिशत था. वही 2015-2018 के दौरान यह सैन्य खर्च, चीन में 1.9 प्रतिशत, पाकिस्तान में 4.0 प्रतिशत, बांग्लादेश में 1.4 प्रतिशत, श्रीलंका में 1.9 प्रतिशत, यूनाइटेड किंगडम में 1.8 प्रतिशत और अमेरिका में 3.2 प्रतिशत था.

2015-19 की अवधि के दौरान भारत में, 27.7 प्रतिशत वयस्क महिलाएं (25 वर्ष और उससे अधिक) शिक्षा के क्षेत्र में कम से कम माध्यमिक शिक्षा हासिल कर पाईं, जबकि उनके पुरुष समकक्षों की संख्या 47.0 प्रतिशत थी.

2019 में भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (15 वर्ष और अधिक) 20.5 प्रतिशत थी जबकि पुरुषों की श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) 76.1 प्रतिशत था. चीन में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर 60.5 प्रतिशत और पुरुष श्रम शक्ति भागीदारी दर 75.3 प्रतिशत थी. श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) को श्रम बल में प्रति 100 व्यक्ति (जनसंख्या पर) की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है.

वर्ष 2017 में, प्रत्येक 100,000 जीवित जन्मों पर 133.0 महिलाओं की गर्भावस्था से संबंधित कारणों से मृत्यु हो गई; और 2015-2020 के दौरान 15-19 वर्ष की आयु की 1,000 महिलाओं पर प्रति किशोर जन्म दर 13.2 थी.

हाल ही में, पर्यावरणीय मुद्दों पर भी एक अनिवार्य उपाय के रूप में विचार दिया गया है. इसलिए, प्लैनेटरी प्रैशर-एडजस्टेड एचडीआई पेश किया गया था, जो कम उत्सर्जन और संसाधन उपयोग के साथ उच्च एचडीआई वेल्यूज को प्राप्त करने के लिए संभावनाओं की भावना प्रदान करता है. 2019 में भारत के लिए प्लैनेटरी प्रैशर-एडजस्टेड HDI (PHDI) वेल्यू 0.626 थी.

गरीबी और असमानता

पिछले दशक में बहुआयामी गरीबी के मोर्चे पर भारत की महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूदअभी भी 27.9 प्रतिशत भारतीय बहुआयामी गरीबी की गिरफ्त में हैं.

आय आधारित गरीबी के मुकाबले बहुआयामी गरीबी 6.7 प्रतिशत अधिक है. इसका मतलब है कि आय आधारित गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले व्यक्ति अभी भी स्वास्थ्य, शिक्षा और / या अच्छे जीवन यापन से वंचित हो सकते हैं.

सबसे हालिया सर्वेक्षण डेटा जो सार्वजनिक रूप से भारत के एमपीआई अनुमान 2015/2016 के लिए उपलब्ध थे. भारत में, कुल आबादी का 27.9 प्रतिशत (377,492 हजार यानी 37.74 करोड़) गरीब हैं, जबकि 19.3 प्रतिशत (260,596 यानी 26.05 करोड़ लोग) अतिरिक्त लोगों को बहुआयामी गरीबी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. भारत में वंचितता (तीव्रता) की खाई, जो कि बहुआयामी गरीबी में लोगों द्वारा अनुभव किए गए औसत अभाव स्कोर है, 43.9 प्रतिशत थी. आबादी का वह हिस्सा, जो कि अभावों की तीव्रता से समायोजित बहुसंख्यक गरीब है, उसको मापने के लिए बहुआयामी गरीबी सूचकांक का इस्तेमाल किया जाता है.भारत का बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) 0.123, बांग्लादेश और पाकिस्तान में क्रमशः 0.104 और 0.198 है.

• 2005/2006 और 2015/2016 के बीच भारत में 27.3 करोड़ से अधिक लोग बहुआयामी गरीबी रेखा से बाहर हुए हैं. औसतन, सबसे गरीब राज्यों और सबसे गरीब समूहों ने तीव्र गति से प्रगति की है.

2010-2018 के दौरान भारत का जीनी(Gini) गुणांक (आय असमानता का आधिकारिक मापतंत्र, जो शून्य और 100 के बीच भिन्न होता है, 0 पूर्ण समानता दर्शाती है और 100 पूर्ण असमानता की ओर इशारा करती है) 37.8 था, जबकि चीन का 38.5 था, बांग्लादेश 32.4 था, पाकिस्तान 33.5, श्रीलंका 39.8 और भूटान 37.4 था.

भारत में जीडीपी के श्रम शेयरों में मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा हस्तांतरण, साल 2004 में 60.7 प्रतिशत, 2005 में 58.0 प्रतिशत, 2010 में 56.8 प्रतिशत, 2011 में 54.8 प्रतिशत, 2012 में 53.2 प्रतिशत, 2013 में 51.8 प्रतिशत, 51.5 प्रतिशत 2014 में, 49.2 प्रतिशत, 2016 में 49.2 प्रतिशत और 2017 में 49.0 प्रतिशत थे.

[मानव विकास रिपोर्ट 2020का सारांश तैयार करने में इनक्लुसिव मीडिया फॉर चेंज टीम की सहायता शिवांगिनी पिपलानी ने की है. शिवांगिनी, बर्लिन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड इनोवेशन से एमए इन फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट (प्रथम वर्ष) कर रही हैं. उन्होंने दिसंबर 2020 में इनक्लुसिव मीडिया फॉर चेंज प्रोजेक्ट में अपने विंटर इंटर्नशिप के हिस्से के रूप में यह काम किया है.]


 

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