SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 95

ग्रामीण इलाकों में एससी-एसटी के एक चौथाई परिवार निरक्षर

देश के ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जाति और जनजाति के तकरीबन एक चौथाई परिवार निरक्षर हैं। ग्रामीण इलाके के अन्य परिवारों की तुलना में यह संख्या लगभग डेढ़ से दो गुनी ज्यादा है।(देखें नीचे दी गई लिंक) देश के अलग-अलग सामाजिक वर्गों के बीच मौजूद रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति पर केंद्रित एनएसएसओ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के ग्रामीण इलाके में 26.6 प्रतिशत एसटी एवं 23...

More »

मनरेगा में एससी परिवारों को सबसे ज्यादा रोजगार- एनएसएसओ की रिपोर्ट

राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े एक बार फिर इस निष्कर्ष की पुष्टी करते हैं कि मनरेगा वंचित तबकों विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के परिवारों को जीविका प्रदान करने में कारगर साबित हो रहा है। देश के ग्रामीण इलाकों के 59,700  परिवारों के सर्वेक्षण पर केंद्रित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के नवीनतम आकलन में बताया गया है कि मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पाने वाले लोगों में सर्वाधिक संख्या अनुसूचित...

More »

किसानों को दिहाड़ी मजदूर न बनाएं - देविंदर शर्मा

22 मार्च को किसानों के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात" रेडियो पर प्रसारित होगी और देश में खेती-किसानी और कृषकों के हालात सुधारने के बारे में उनके विचारों से मैं अवगत होना चाहूंगा। मैं नहीं जानता कि मेरे विचार उनके किसी निर्णय को बदल अथवा प्रभावित कर सकते हैं या नहीं, लेकिन यहां मैं किसानों की दुर्दशा और परेशानी अवश्य साझा कर सकता हूं। इसके साथ...

More »

' पीडीएस में बदलाव से 50 फीसदी लोगों की खाद्य-सुरक्षा पर असर पड़ेगा '

 सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किया जाने वाला कोई भी सुधार पर्याप्त सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि पीडीएस में किये जाने वाले किसी भी बदलाव से कम से देश की 50 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी की खाद्य-सुरक्षा पर असर पड़ेगा। यह बात आर्थिक मामलों में शोध की अग्रणी संस्था नेशनल काऊंसिल ऑफ अप्लॉयज इकॉनॉमिक रिसर्च(एनसीएआऱ) द्वारा हाल ही में जारी एक नोट में कही गई है।(देखें एनसीएआर की नोट की...

More »

घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्‍नदाता? - देविंदर शर्मा

कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close