राज्य के बंटवारे के बाद कहा जा रहा था कि बिहार राज्य में राजस्व का कोई स्रोत नहीं बचा. सभी खनन क्षेत्र झारखंड में जाने के कारण बिहार आर्थिक बदहाली में पहुंच जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. बिहार में मात्र बालू एवं पत्थर से खनन क्षेत्र में लगभग झारखंड राज्य के जितना ही राजस्व आ रहे हैं. दूसरी तरफ, झारखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जानेवाले इस उद्योग को उचित...
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कुपोषण के खिलाफ सक्रिय हुई सरकार
कोलकाता: राज्य के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए राज्य सरकार ने यहां के होम में दिये जा रहे भोजन के मेनू को बदलने का फैसला किया है. इस संबंध में राज्य के शिशु कल्याण विभाग की ओर से सभी जिलों के बीडीओ को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें राज्य सरकार ने बच्चों को पौष्टिक भोजन देने पर विशेष जोर दिया है. यह जानकारी मंगलवार को राज्य के शिशु कल्याण...
More »गैर सहायता प्राप्त स्कूल मध्याह्न भोजन योजना के दायरे में
नयी दिल्ली : कुछ समय पूर्व बिहार में हुई मध्याह्न भोजन त्रासदी और कई अन्य स्थानों पर खाना खाने से बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस योजना को चाकचौबंद बनाने के साथ ही इसके दायरे में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक बहुल जिलों में निजी तौर चलाये जा रहे गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को भी लाने को मंजूरी दी है. मानव संसाधन...
More »गांव की सेहत का पहिया है सहिया दीदी
झारखंड जैसे पिछड़े राज्य के गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अब भी काफी खराब है. गांव में समय पर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने के कारण ही यहां गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों की असमय मौत हो जाती है. भारत सरकार ने इस समस्या को समझते हुए हर गांव में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैनात किया है. देश के दूसरे राज्यों में इन्हें आशा कहा जाता है, जबकि झारखंड में इन्हें सहिया...
More »महज लिंक वर्कर नहीं सोशल एक्टिविस्ट भी हैं सहिया
झारखंड में गांव-गांव में सेहत की अलख जगाने वाली सहिया दीदी का स्वरूप महज लिंक वर्कर जैसा नहीं है. झारखंड में सेहत के मसले पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसे सेहत के मसले पर गांव में मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता का स्वरूप दिया है. इसका काम सिर्फ गांव के लोगों को सेहत से संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि सेहत से संबंधी समस्याओं के लिए गांव के लोगों को...
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