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खाद्य-सुरक्षा: बदले बदले से सरकार नजर आते हैं- चंदन श्रीवास्तव

शांता कुमार की अगुवाई में बीते अगस्त में बनी उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में तीन ऐसी सिफारिशें की हैं, जो सीधे-सीधे खाद्य-सुरक्षा अधिनियम यानी भोजन का अधिकार कानून में प्रदान की गयी हकदारियों पर चोट करती हैं. केंद्र सरकार सोचती है कि लोक-कल्याण की योजनाओं में भ्रष्टाचार होने से कुछ अच्छा होता है, तो भ्रष्टाचार अच्छा है. योजनाओं में भ्रष्टाचार का होना सरकार को चलती हुई योजनाओं से हाथ खींचने...

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किसानों और गरीबों की जीत- श्रीकांत शर्मा

विश्व व्यापार संगठन (डब्‍ल्‍यूटीओ) की महासभा ने 27 नवंबर को खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए भंडारण के संबंध में एक अहम निर्णय किया है, जिसके बाद भारत में गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम और किसानों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) पर आसन्‍न संकट टल गया है। भारत अब डब्‍ल्‍यूटीओ के सदस्‍य देशों के दखल के बगैर गरीबों को सस्‍ता अनाज देता रहेगा और किसानों को उनकी उपज के...

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बागवानी के अच्छे दिन!

यह सच है कि फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और यह भी सच है कि बीते बीस सालों(1991-91 से 2012-13) में देश में फल-फूल, सब्जी और मसालों की खेती का रकबा दोगुना बढ़ा है। नतीजतन, वानिकी-उत्पादन में तकरीबन तीन गुना(2.8 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते बीस सालों में वानिकी का रकबा 1 करोड़ 20 लाख 77 हजार हैक्टेयर से...

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खाद्यान्न उठाव में नहीं चलेगा बैकलॉग: जीतन राम मांझी

पटना: मुख्यमंत्री ने जीतन राम मांझी ने खाद्यान्नों के उठाव में लापरवाही करनेवाले अधिकारियों के साथ सख्ती से निबटने का फरमान जारी किया है. इसके लिए उन्होंने राज्य के कुल 11 जिलों को चिह्न्ति भी कर लिया है, जहां खाद्यान्नों के उठाव की स्थायी समस्या का समाधान किया जाना है. मुख्यमंत्री ने इन 11 जिलों में सीएमआर का चावल आपूर्ति करने वाले डीलरों पर कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया...

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जो कहा, उसका उल्टा कर रहे हैं- देविन्दर शर्मा

आपने इस पर जरूर ध्यान दिया होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के पहले सौ दिन का कामकाज एक बड़ी व्यावसायिक घटना में तब्दील हो गया। संभवतः यह पहला मौका है, जब बड़े मीडिया घरानों ने देशव्यापी सर्वे के लिए मार्केटिंग एजेंसियों को नियुक्त किया। सर्वे के परिणाम अखबारों के पहले पन्ने और टीवी चैनलों पर न केवल प्रकाशित-प्रसारित किए गए, बल्कि पूरे दिन सर्वे रिपोर्टों पर चर्चा...

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