आज जनता व्यग्रता से इंतजार कर रही है कि संसद एक कारगर लोकपाल संस्था कायम करे, ताकि उच्च पदों पर तथा सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। इसी संदर्भ में सरकार ने संसदीय स्थायी समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर विचार करने के लिए विगत 14 दिसंबर को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। संसदीय स्थायी समिति ने लोकपाल विधेयक के मौजूदा मसौदे और पिछले कुछ...
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बकरी चराने, सूखी लकड़ियां बटोरने पर मुकदमा!- अंबरीश
लखनऊ, 11 दिसंबर। कैमूर क्षेत्र की महिलाएं पंद्रह हजार से ज्यादा फर्जी मुकदमों में फंसी हैं। इनमें से ज्यादातर मुकदमे मिर्जापुर, चंदौली और सोनभद्र जिले की दलित और आदिवासी महिलाओं पर हैं। अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सोनभद्र में सैकड़ों महिलाओं ने प्रदर्शन कर चेतावनी दी कि अगर एक महीने में इन मुकदमों को वापस नहीं लिया गया तो जनवरी के अंत में ‘जेल भरो आंदोलन’ शुरू किया जाएगा।...
More »मैंने नहीं कहा अन्ना संसद से ऊपर - अरविन्द केजरीवाल
भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाली टीम अन्ना के कुछ सदस्य अब विवादों के घेरे में आने लगे हैं। कहीं उनके अंतर्विरोध उजागर हो रहे हैं, और कहीं उसके सदस्यों पर हमले हो रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल से बातचीत की दैनिक हिन्दुस्तान के प्रवीण प्रभाकर ने। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश: आप पर चप्पल फेंकी गई। प्रशांत भूषण पर घूंसे चले। क्यों...
More »अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
More »गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
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