जनसत्ता 31 मई, 2013: झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के वनक्षेत्र वाले इलाकों में माओवादी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। हाल में झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर हमला कर माओवादियों ने तीन दर्जन लोगों को मार डाला। इस हमले में मारे जाने वाले कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हैं। आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां अगर ‘विकास...
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दंडकारण्य का दावानल- कनक तिवारी
जनसत्ता 29 मई, 2013: सुकमा से राष्ट्रीय शोक का एक मर्मांतक ज्वालामुखी पैदा हुआ है। कांग्रेस के काफिले पर नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की। उसमें पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं समेत करीब तीस लोग मारे गए। बस्तरिहा घाटियों में माओवादियों द्वारा यह पहला नरसंहार नहीं था। माओवादी वर्षों से अपनी क्रूरता के घिनौने कारनामे अंजाम दे रहे हैं। ताजा हमला विशेष मायने रखता है। कांग्रेसी राजनीतिकों का काफिला...
More »नकली नक्सली-अनुपमा और निराला की रिपोर्ट.
झारखंड में माओवादी कमजोर हुए हैं मगर उनके इस सबसे बड़े गढ़ में माओवाद के नाम पर चलने वाले आपराधिक संगठनों की कोई कमी नहीं है. अनुपमा और निराला की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय 27 मार्च, 2013. झारखंड में चतरा जिले का लकड़मंदा गांव. बिहार सीमा के पास बसे इस इलाके का सन्नाटा आधी रात को अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से टूट गया. पास के जंगल में हो रही भयानक गोलीबारी...
More »खेतों में पसीना बहा रहा नक्सली बद्री राय
दुमका : हरसंत का अतीत होता है और हर अपराधी का भविष्य. केंद्रीय कारा में लिखी इसी पंक्ति ने एक अपराधी का भविष्य सुधार दिया है. दुमका सहित आसपास के क्षेत्र में नक्सलियों का जनक माना जाने वाला हार्डकोर उग्रवादी बद्री राय जेल से छूटने के बाद मुख्यधारा में लौट आये हैं. इन दिनों वह अपने गांव सरुवापानी में बंजर जमीन को खेतीलायक बनाने और फसल उपजाकर अपने जीवन को वह...
More »गरीबों के हक का बंदरबांट!
आज पूरा झारखंड, इसके सभी 24 जिले, उग्रवाद की चपेट में है। राज्य के अधिकांश संसाधन और कोष विकास कार्यक्रमों की बजाय उग्रवाद से टक्कर लेने पर खर्च होते हैं। विकास थम गया है। सबसे पिछड़े राज्यों की पंक्ति में खड़ा है झारखंड। यह दशा साल दो साल में नहीं, दशकों से चली आ रही उपेक्षा का नतीजा है। समीक्षा होती है, और सभी मानते हैं कि झारखंड में सरकारी मशीनरी...
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