क्या बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चने जैसे महत्वपूर्ण रबी-फसल के नुकसान की मार झेल छह राज्यों के किसानों को इतना मुआवजा मिल पाएगा कि उनके लागत की ही भरपायी हो सके ? प्रश्न के उत्तर के नीचे लिखे तथ्य पर गौर करें. एक क्विन्टल गेहूं को उपजाने और बाजार तक पहुंचाने में किसान को 1212 रुपये की लागत आती है, एक क्विन्टल चने के लिए यही खर्च...
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डीबीटी का कमाल, सीधे बैंक में पहुंची राहत
तमिलनाडु में बाढ़ के 32 दिन बाद बांट दी गयी 700 करोड़ की राहत वर्ष 2015 जाते-जाते तमिलनाडु के कई जिलों को बाढ़ का ऐसा दर्द दे गया, जिसे बाढ़ पीड़ित आसानी से नहीं भूल पायेंगे. लेकिन, वर्ष 2016 की शुरुआत ने उन्हें ऐसी खुशी दी, जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी. बाढ़ पीड़ितों को महज 32 दिन में मुआवजा मिल गया. यह संभव हो पाया एक योजना से,...
More »अनावारी रिपोर्ट में 24 जिलों की सिर्फ 40 तहसीलों में ही सूखा
रायपुर। राज्य सरकार को प्रदेश में सूखे की स्थिति पर वास्तविक रिपोर्ट मिल गई है। खरीफ फसल की अंतिम आनावारी रिपोर्ट में बताया गया है कि में राज्य में सिर्फ 40 तहसीलें सूखा प्रभावित हैं। इससे पहले नजरी आंकलन के आधार पर यह जानकारी सामने आई थी कि प्रदेश की 117 तहसीलें सूखा प्रभावित हैं। अंतिम आनावारी रिपोर्ट के आधार पर राज्य में वैसे सूखे के हालात नहीं है,जैसा कि नजरी...
More »अपनी तबाही रचते शहर- अनिल पद्मनाभन
भारत उन 163 देशों की सूची में सबसे ऊपर है, जिनके बाशिंदे हर साल सबसे अधिक बाढ़ की मुसीबतें झेलते हैं। हाल के दिनों में चेन्नई, श्रीनगर, मुंबई जैसे शहरों में सैलाब से तबाही का जो मंजर हमने देखा, उसके लिए बहुत हद तक दोषी हमारा गैर-जिम्मेदाराना रवैया और अनियोजित शहरीकरण है। मिन्ट के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर अनिल पद्मनाभन का विश्लेषण चेन्नई में आई बाढ़ अब उतार पर है। इस त्रासदी...
More »आपदा राहत की उलझी कड़ियां-- शैलेन्द्र चौहान
भारत में लोगों को आपदा से बचाना या तत्काल राहत पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है? पिछले पांच दशक से सरकार भी इस यक्ष प्रश्न से जूझ रही है। दरअसल, आपदा प्रबंधन तंत्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को कुदरती कहर से बचाने की जिम्मेदारी कई महकमों पर है। जब लोग बाढ़ में डूब रहे होते हैं, भूकंप के मलबे में दब कर छटपटाते हैं या फिर ताकतवर तूफान...
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