-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...
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नए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक से पर्यावरण और जनता को नुकसान, कारोबारियों को फायदा
-कारवां, महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 6 अगस्त 2021 की रात 42 साल के एक किसान की कीटनाशक जहर से मौत हो गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विनोद मसराम चव्हाण अपनी कपास की फसल को घातक गुलाबी बॉलवर्म से बचाने के लिए कीटनाशक नुवाक्रॉन का छिड़काव करते समय उसके संपर्क में आ गए थे. कीटनाशक में मोनोक्रोटोफोस होता है जो एक जहरीला कंपाउंड है. यह अंतरराष्ट्रीय...
More »केंद्रीय बजट 2022-23 में पूंजीगत खर्च बढ़ाने के पीछे का सच
-न्यूजक्लिक, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2022-23 एक ही जुनून (obsession) पर आधारित है। यह जुनून बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) बढ़ाने का है। धारणा यह है कि इस तरह के big-ticket वाले बुनियादी ढांचे के खर्च से अतिरिक्त मांग पैदा होगी और निजी निवेश का खुद ही प्रवेश होगा, और इस तरह विकास को बढ़ावा मिलेगा। न्यूज़क्लिक ने पूर्व वित्त सचिव श्री एस.पी. शुक्ला से केंद्रीय...
More »इनडोर पाइप से पेय जल की आपूर्ति से किसे लाभ होता है? लैंगिक आधार पर विश्लेषण
-आइडियाज फॉर इंडिया, भारत में, घरों में इनडोर पाइप से पेय जल (आईपीडीडब्ल्यू) की आपूर्ति बहुत सीमित है, और महिलाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि उन्हें बाहर से पानी लाने का बोझ उठाना पड़ता है। यह लेख 2005-2012 के भारत मानव विकास सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए दर्शाता है कि परिवारों को इनडोर पाइप से पेय जल मिलने से रोजगार में- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि...
More »आर्थिक विकास तो महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत को बेरोजगारी, गरीबी, स्वास्थ्य, पर्यावरण पर भी ध्यान देना जरूरी है
-द प्रिंट, बजट और आर्थिक सर्वेक्षण से व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए सरकार की जो रणनीति उभरती है उसे इन शब्दों में सरलता से कहा जा सकता है—आर्थिक वृद्धि सभी समस्याओं का समाधान कर देगी. यह रणनीति दो दशक पहले कारगर होती थी जब व्यापक अर्थव्यवस्था के संकेतक आज के वित्तीय घाटे के लिहाज से हुआ करते थे, सरकारी कर्ज पर ब्याज भारी होता था, और बैंक समस्याओं से ग्रस्त होते थे....
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