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समाख्या की साथिनें- निवेदिता

हमारी मुलाकात ट्रेन में हुई थी। पहली बार जब मैं उससे मिली तो वह बेहद डरी और जिंदगी से हारी हुई दिख रही थी। वह परेशान थी अपने पति की लगातार हिंसा से। उसकी आंखों में मानो बादल तैर रहे थे, जिसे वह सबकी नजरों से बचा कर पोंछ लेती थी। जब हम बातें करने लगे तो पता नहीं उसके दिल का कितना कोना भीग रहा था। जैसे डूबते को...

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अकाल मौत से कैसे बचेंगे बच्चे- सुभाषिनी सहगल अली

हमारे देश में बच्चे बहुत मरते हैं। मरने वाले बच्चों के मां-बाप समझते हैं कि उनके बच्चों की मौत के लिए उनकी किस्मत फूटी होने की वजह जिम्मेदार है; या फिर वे देवी या देवताओं के प्रकोप को इसके लिए जिम्मेदार समझते हैं। और इसलिए वे तमाम तरकीबें निकालते हैं कि किसी तरह से देवी-देवताओं के गुस्से को ठंडा कर दिया जाए। कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश की हर सड़क...

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छत्‍तीसगढ़ : अकाल मौतों के साए में धन का अकाल

आवेश तिवारी, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नसबंदी के दौरान होने वाली मौतों के पीछे वजह जो भी हो ,लेकिन यह सच है कि राज्य में नसबंदी का कार्यक्रम भारी धनाभाव में चलाया जा रहा है । नईदुनिया ने अपनी पड़ताल में पाया कि 2013-14के दौरान छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से 720 कैम्पों के लिए प्रति कैम्प 15 हजार रूपए की दर से 1 करोड़ 8 लाख रूपए की...

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सरकारी स्कूल की हालत ट्रांसपोर्ट की गाड़ी जैसी

पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शिक्षा की सरकारी व्यवस्था के बारे में रविवार को साफ-साफ और बेबाक अंदाज में बात की. मुख्यमंत्री ने कहा, सरकारी स्कूलों का हाल ठीक सरकार के ट्रांसपोर्ट की उस गाड़ी की तरह हो गयी है, जिसके एक साल चलते-चलते टायर व पार्ट्स तक बिक जाते हैं. वहीं, प्राइवेट स्कूलों का विकास प्राइवेट बस की तरह हो रहा है. एक साल में एक बस...

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खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...

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