उच्च शिक्षा-संस्थानों में कौन कितना बेहतर है, यह निर्धारित करने के लिए सरकार ने एक देसी फ्रेमवर्क बनाया है. संस्थानों को उनकी श्रेष्ठता के क्रम में ऊपर से नीचे सजाने की तरकीब आकर्षक लग सकती है और जरूरी भी. जो अभिभावक अपने होनहारों की उच्च शिक्षा पर बरसों की जमा रकम खर्च करने का फैसला लेते हैं, या फिर जो छात्र अपनी पढ़ाई के लिए सूद की ऊंची दरों पर...
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सबर आदिवासियों के सब्र की इंतेहा-- ज्यां द्रेज
आदिवासी सबर समुदाय को जब तक कोई नजदीक से न देखे तब तक कभी जान नहीं सकता कि वो कैसे रहते हैं. और वहां तक पहुंचने के लिए भी ऐसे किसी इंसान से मदद लेनी पड़ेगी, जो उनकी रिहाइश के बारे में जानता है. हम किसी तरह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले में पोटका ब्लॉक के सुदूर इलाक़े की पतली पगडंडियों को पार करते हुए उनके घरों या कहें बिखरी हुई झोपड़ियों...
More »मुझे मिली एक मदद, मैं करूंगा दस की
बात उस समय की है, जब एक 14 वर्षीय बच्चे एन शिव कुमार के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो रहा था. आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए स्कूल में 15 हजार रुपये जमा करना जरूरी हो गया था. बेहतर शिक्षा देने की हर संभव कोशिश में मां ने अपने जेवर बेच कर किसी तरह शिव को आइसीएससी के स्कूल में दाखिला करा तो दिया था. पिताजी एक लॉरी...
More »झारखंड- राज्य में स्कूली बच्चों को दी जायेगी विधालय किट के लिए राशि
रांची: राज्य में स्कूली बच्चों को पहली बार नि:शुल्क विद्यालय किट दिया जायेगा. इसके तहत सरकारी विद्यालयाें में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को शिक्षण सामग्री, स्कूल बैग व जूता-मोजा दिया जायेगा. योजना का लाभ उसी बच्चे को मिलेगा जिसकी कक्षा में उपस्थिति 50 प्रतिशत होगी. इस पर कुल तीन अरब दस करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस योजना का पूरा वित्तीय...
More »स्कूली शिक्षा और कोर्ट का फैसला- योगेन्द्र यादव
इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के दो दिन बाद मेरे पास इमेल से एक अनजाने व्यक्ति की चिठ्ठी आयी. लिखनेवाली महिला कभी उत्तर प्रदेश सरकार में काम कर चुकी थीं, आजकल विदेश में हैं. चिठ्ठी बड़ी ईमानदारी और शालीनता से लिखी गयी थी. चिठ्ठी में उन्होंने पूछा कि हमने और स्वराज अभियान से जुड़े साथियों ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के उस फैसले का स्वागत क्यों किया, जिसमें सभी सांसदों, विधायकों, सरकारी अफसरों सहित...
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