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कोरोना वायरसः क्या आपको डरने की जरूरत है?

तस्वीरें हॉलीवुड की फिल्मों के स्थिर चित्रों जैसी दिखती हैं. हवाई अड्डों पर सहमे हुए लोग, जिनके चेहरे सर्जिकल मास्क से ढके हुए हैं. हालांकि ये मास्क दुनिया के सामने बड़े खतरे की तरह उभरे एक नवीनतम वायरस से उनकी रक्षा के लिए शायद ही पर्याप्त हों. इस वायरस का उद्गम स्थान संभवत: वुहान है, जहां दिसंबर की शुरुआत में इस वायरस की पहचान की गई थी. लेकिन ऑस्ट्रेलिया से...

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कितना खतरनाक हो सकता फलों और सब्जियों पर रसायनों का इस्तेमाल

गांव कनेक्शन   पिछले वर्ष नेपाल ने भारत की सब्जियों और फलों पर रोक लगा दी थी, साल 2014 में यूरोपियन देशों ने अल्फांसो आम के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके पहले भी कई देशों ने भारत की सब्जियों और फलों के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इनके पीछे एक ही कारण है कीटनाशक और रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने सब्जियों में कीटनाशकों के...

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केंद्र सरकार के बजट में 29 बजटों का सवाल

-इंडिया टूडे हिंदी   केंद्र सरकार का अकेला बजट मंदी का भाड़ फोड़ सकता होता तो फिर छह ‘शानदार’ बजटों के बावजूद हम औंधे मुंह धंस न गए होते. अथवा टैक्स या कर्ज रियायतों के ताजे पैकेज (ऑटोमोबाइल, हाउसिंग, कॉर्पोरेट के टैक्स में कमी, एनबीएफसी, लघु उद्योग) सिर के बल खड़े न हो जाते.  2020-21 का बजट कुछ ऐसी वजहों से संवेदनशील होने वाला है जो अर्थव्यवस्था और सियासत, दोनों के लिए कीमती...

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आज विवेकानंद को नये कट्टर हिन्दूत्व के दार्शनिक योद्धा के रूप में बदल दिया गया है

दोनों हाथों को मोड़कर छाती से सटाये और नेपोलियन की तरह टकटकी लगाकर कठोर मुद्रा बनाये स्वामी विवेकानंद हिन्दू धार्मिक प्रथाओं में दमन देखकर मानसिक वेदना के कारण विक्षिप्तता की ओर बढ़ रहे थे।विवेकानंद को निजी प्रेरणा मानने वालों में नरेंद्र मोदी अकेले व्यक्ति नहीं है। मगर कोई यह बताने सक्षम नहीं दिखता कि उनकी कौन से विचार प्रेरणा देते हैं अथवा प्रभावित करते हैं। हिन्दू धर्म के प्रवृत्तियों को जानने...

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इन नीतियों से कृषि नहीं उबरेगी

“नीतियों का फोकस बदलें और प्रतिबंधों से मुक्त कर किसान को अपनी बुद्धिमानी से चयन करने दें” कृषि क्षेत्र की नीतियां बनाने में खाद्य सुरक्षा पर फोकस रहा है। यह वाजिब भी है क्योंकि देश में खाद्य वस्तुओं की कमी और आयात पर निर्भरता से निपटने के लिए हरित क्रांति इसी वजह से शुरू की गई। वाजिब कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता हमारी नीतियों के केंद्र में रही और बाद...

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