-रूरल वॉइस, संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत का व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) हाल ही पूरा हुआ है। इसे इस लिहाज से उल्लेखनीय माना जाना चाहिए कि इसमें कई बातें पहली बार हुई हैं। 2019 के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के बाद पहली बार भारत सरकार ने आर्थिक सहयोग समझौते (ईसीए) में तेजी दिखाई है। भारत और अमीरात के बीच सीईपीए पहला ईसीए है जिसपर एक दशक से भी ज्यादा समय...
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बजट 2022-23: क्या सार्वजनिक निवेश पर आधारित विकास रणनीति वांछनीय और विश्वसनीय है?
-आइडियाज फॉर इंडिया, सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए वर्ष 2022-23 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस संदर्भ में, आर. नागराज भारत के वर्तमान नीति अभिविन्यास और उद्योग एवं बुनियादी अवसरंचना में हाल में किये गए निवेश के परिणामों की जांच करते हैं। वे तर्क देते हैं कि उद्योग पर...
More »कोविड-19 और दीर्घकालिक गरीबी: ग्रामीण राजस्थान से साक्ष्य
-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...
More »नए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक से पर्यावरण और जनता को नुकसान, कारोबारियों को फायदा
-कारवां, महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 6 अगस्त 2021 की रात 42 साल के एक किसान की कीटनाशक जहर से मौत हो गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विनोद मसराम चव्हाण अपनी कपास की फसल को घातक गुलाबी बॉलवर्म से बचाने के लिए कीटनाशक नुवाक्रॉन का छिड़काव करते समय उसके संपर्क में आ गए थे. कीटनाशक में मोनोक्रोटोफोस होता है जो एक जहरीला कंपाउंड है. यह अंतरराष्ट्रीय...
More »स्वास्थ्य बजट: कोरोना के भयानक दौर को क्या भूल गई सरकार?
-न्यूजक्लिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 के स्वास्थ्य बजट से इस क्षेत्र के जानकार आहत,दुःखित और आक्रोशित हैं। पूर्व स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार के. सुजाता राव कहती हैं- "कोविड-19 के कारण 30 लाख लोगों की मृत्यु होने का अनुमान है जो किसी भी दृष्टि से अस्वीकार्य है। मौत का यह आंकड़ा कम हो सकता था, लोगों की अकल्पनीय पीड़ा में भी कमी लाई जा सकती थी यदि हमारा स्वास्थ्य तंत्र ठीक ठीक काम...
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