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शर्मनाक: पिछले 7 सालों में करीब 98 हजार किसानों-खेतीहर मजूदरों ने की आत्महत्या

तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश से लेकर बिहार तक हमारा पेट भरने वाले किसान आंदोलित हैं। पिछले तीन सालों से पड़े सूखे ने किसानों और खेतीहर मजदूरों ने कमर तोड़ दी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2009 से 2015 के दौरान 97847 किसानों और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। किसानों द्वारा आत्महत्या का मुख्य कारण कर्ज रहा है जबकि खेतिहर मजदूरों के लिए ‘पारिवारिक समस्याएं'...

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किसान-आत्महत्या : सबसे ज्यादा परेशान सीमांत और छोटे किसान !

मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की ! देश में खेती-किसानी का हाल कुछ ऐसा ही है. किसान-आत्महत्या के नये आंकड़े संकेत करते हैं कि बीते 2 सालों में देश में कृषि-संकट और ज्यादा गहरा हुआ है.   खेतिहर मजदूर से ज्यादा किसानों की आत्महत्या एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक एक साल के भीतर(2014 से 2015) किसान-आत्महत्या की संख्या में 41.7 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि आत्महत्या करने वाले खेतिहर मजदूरों की संख्या में तकरीबन एक...

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आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव

पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...

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कर्ज है किसान-आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह- नई रिपोर्ट

देश में आत्महत्या करने वाले किसानों में हर तीसरा किसान छोटा या सीमांत किसान है और आत्महत्या को मजबूर किसानों में हर पांचवां किसान कर्जदारी या आर्थिक तंगी के कारण यह कदम उठा रहा है.  नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट के तथ्य नये सिरे से इस आशंका को पुष्ट करते हैं कि कर्जदारी और दिवालिया होना किसान-आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह है और आत्महत्या के शिकार किसानों में सबसे...

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आधुनिक समय की महामारी- रिदिमा कौल

देश में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि ‘गोल्डन अवर' (दुर्घटना के बाद के एक घंटे) में उन्हें चिकित्सकीय मदद नहीं मिल पाती, साथ में पेचीदा कानून की वजह से कोई उन्हें बचाने की पहल भी नहीं करता। ऐसे में उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए दिशा-निर्देश अच्छा कदम साबित हो सकते हैं। मारे देश...

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