कहावत है कि का बरसा जब कृषि सुखाने और इस कहावत से सीख लेते हुए मानसून की पिछात बारिश में मारे खुशी के फूलकर कुप्पा होने से पहले यह सोचना जरुरी है कि आखिर नुकसान कितना हो चुका है। नुकसान हुआ है और भरपूर हुआ है। देश के खेतिहर इलाके के ६० फीसदी हिस्से पर, खासकर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, इस बार रबी की फसल नहीं काटी जा सकेगी और ये...
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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »बीपीएल सूची टंगी दीवारों पर
डौंडी. छत्तीसगढ़ शासन के आदेशानुसार फर्जी राशन कार्डधारियों पर नकेल कसने के लिए नगर पंचायत डौंडी द्वारा बीपीएल कार्डधारियों का नाम उनके घरों के सामने लिखा जा रहा है। सीएमओ राजेन्द्र कुमार नायक ने बताया कि वर्ष 91, 92, 87, 88, 2001, 02, 07, 08 में शासन द्वारा गरीबों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सस्ते दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने योजना चलाई गई। किंतु इस योजना का कई लोग...
More »वन और पर्यावरण मंत्रालय की नई रिपोर्ट में नया क्या है..
ग्रीन हाऊस गैंसों के उत्सर्जन के सवाल पर कोपेनहेग्न में इस साल के दिसंबर में सम्मेलन होने जा रहा है और इससे ठीक पहले अपने देश में पर्यावरण की दशा को बताने वाली दो रिपोर्टें जारी हुई हैं। ११ अगस्त २००९ के दिन वन और पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने नेशनल स्टेट ऑव द एन्वायर्नमेंट रिपोर्ट जारी की जबकि दूसरी वर्ल्ड इकॉनॉमिक एंड सोशल सर्वे रिपोर्ट है जिसे सेंटर फॉर...
More »सूखा राहत नहीं, कैश स्कीम शुरू करें केंद्र सरकार
दो बार लगातार सूखा पड़ने और उसमें हजारों लोगों की जान जाने के बाद मैंने साल 1965 में पत्रकारिता में प्रवेश किया। सूखे की स्थिति उस समय इतनी भयावह थी कि भारत को अमेरिका के सामने मदद के लिए हाथ फैलाना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य मदद में उस समय भारत की भागीदारी इतनी अधिक थी कि उस समय सबसे अधिक बिकने वाली एक किताब में दावा किया गया कि भारत को...
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