वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र संगठन ने विश्व स्तर पर मानवाधिकारों की व्याख्या करते हुए विश्वयुद्धों से घायल दुनिया को 10 दिसंबर के दिन सालाना मानवाधिकार दिवस मनाने का संदेश दिया था। उस व्याख्या का मसौदा बाइबिल के बाद दुनिया का सबसे अधिक अनूदित दस्तावेज बताया जाता है। लेकिन मानवाधिकार दिवसों की छह दशक से लंबी श्रंखला और उस पर तमाम गहन चिंतन-मनन के बाद भी दुनिया में मानवाधिकारों की,...
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मंशा नेक पर अभी तो मुमकिन नहीं - सुषमा रामचंद्रन
चार्ल्स डिकेंस के उपन्यास 'अ टेल ऑफ टू सिटीज" की मशहूर पंक्तियां हैं : 'वह सबसे बेहतरीन दौर था, लेकिन वह सबसे बदतर भी था।" दिल्ली सरकार के सम-विषम फॉर्मूले के परिप्रेक्ष्य में हम डिकेंस के इस संवाद को बदलकर यूं भी कर सकते हैं कि 'वह एक बेहतरीन विचार था, लेकिन वह बदतर भी था!" हां, यह जरूर है कि दिल्ली सरकार के इस निर्णय के बाद इस महानगर...
More »सूचनाधिकार की सार्थकता पर सवाल-- सतीश सिंह
सूचनाधिकार यानी आरटीआइ कानून को लागू हुए पिछले अक्तूबर में दस वर्ष हो गए। इतने साल बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि मौजूदा समय में कहां तक आरटीआइ सार्थक है। 16 अक्तूबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) द्वारा आयोजित दसवें वार्षिक सम्मेलन में गिने-चुने आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया, जबकि इसमें आरटीआइ की दशा और दिशा पर चर्चा होनी थी। गौरतलब है कि इन दस सालों में सीआइसी को...
More »आपदा राहत की उलझी कड़ियां-- शैलेन्द्र चौहान
भारत में लोगों को आपदा से बचाना या तत्काल राहत पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है? पिछले पांच दशक से सरकार भी इस यक्ष प्रश्न से जूझ रही है। दरअसल, आपदा प्रबंधन तंत्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोगों को कुदरती कहर से बचाने की जिम्मेदारी कई महकमों पर है। जब लोग बाढ़ में डूब रहे होते हैं, भूकंप के मलबे में दब कर छटपटाते हैं या फिर ताकतवर तूफान...
More »अंत्योदय अन्न योजना- विवादित प्रावधान से पीछे हटी सरकार
अंत्योदय अन्न योजना में शामिल ढाई करोड़ लोगों के लिए आखिरकार राहत भरी खबर हैं. सरकार ने बीते मार्च महीने में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी उस प्रावधान को हटा लिया है जिसमें नए परिवारों को नए अंत्योदय कार्ड जारी नहीं करने की बात कही गई थी.(देखें नीचे दी गई लिंक संख्या-1) केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के 20 मार्च के एक आदेश में प्रावधान...
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