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2020 लॉकडाउन के बाद भारत में अमीरों की हैसियत घटने से आय की असमानताओं में आई कमी, आर्थिक स्टडी का दावा

-द प्रिंट, कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में लाखों लोग गरीबी के गर्त में चले गए, लेकिन शुरुआती कड़े लॉकडाउन के बाद की अवधि में, देश आय की असमानताओं में भी कमी देखी गई- ये खुलासा पिछले महीने प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में किया गया है. ‘कोविड के दौरान भारत में असमानता घटी’ शीर्षक से इस पेपर में जिसे अर्थशास्त्र पर शोध और उसका प्रसार करने वाली, अमेरिका में स्थित एक गैर-मुनाफा...

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समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप

-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...

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वैक्सीन, किसान और अल्पसंख्यकों पर फर्जी खबरें: 2021 में कहां व्यस्त रहे भारत के फैक्ट-चेकर्स

-न्यूजलॉन्ड्री, साल 2021 में जो ख़बरें सुर्ख़ियों में रहीं उनमें प्रमुख थीं दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन, भारत में कोविड टीकाकरण, कोविड की विनाशकारी दूसरी लहर और चार राज्यों समेत एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव. वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े से जुड़ी ख़बरें छाई रहीं. यह वर्ष उपरोक्त सभी ख़बरों पर गलत सूचनाओं से भी भरा रहा. फैक्ट-चेकिंग पोर्टल्स ने इस साल कई फर्जी व्हाट्सएप...

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दो दशकों में 9 फीसदी बढ़ी कृषि भूमि, लेकिन प्राकृतिक वनस्पति और जंगलों को चुकानी पड़ी कीमत

-डाउन टू अर्थ, वैश्विक स्तर पर 2003 से 2019 के बीच कृषि भूमि में करीब 9 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। इसका मतलब है कि इन 16 वर्षों में कुल कृषि भूमि में करीब 10.2 करोड़ हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। 2019 के आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में करीब  124.4 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि है। यह जानकारी 23 दिसंबर 2021 को जर्नल नेचर फूड में प्रकाशित एक...

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देश भर के डॉक्टरों के प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होने की वजह क्या है

-द वायर, भारत में कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है, लेकिन इन सब के बीच देश के हजारों सरकारी डॉक्टर्स अस्पताल बंद कर विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं. उनकी मांग है कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा-पोस्टग्रैजुएट (नीट-पीजी) पास किए 50,000 एमबीबीएस डॉक्टरों की तत्काल काउंसलिंग कराई जाए. नीट-पीजी की परीक्षा इस साल सितंबर में हुई थी. काउंसलिंग के बाद इन डॉक्टर्स को मेडिकल कॉलेजों में...

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