हमारे गांवों का कितना विकास हुआ है. क्या चुनौतियां हैं. विकास के मौजूदा मॉडल से आप कितनी सहमत हैं? मौजूदा विकास को दो-तीन तरह से देखना होगा. पहले समझना होगा कि विकास का मतलब क्या है. किस तरह का विकास होना है और किसका विकास होना है. आज सरकार की नजर में विकास का जो पैमाना है, जिसे मेनस्ट्रीम सोसाइटी विकास मानती है, और जो विकास हो रहा है क्या कल...
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नौकरशाही ने तबाह कर दी उत्तराखंड में उच्च शिक्षा
अनिल बंसल, नई दिल्ली। उत्तराखंड की स्कूली शिक्षा के मामले में भले अंग्रेजी राज से ही देश भर में धाक रही हो। लेकिन उच्च शिक्षा के मामले में सूबे के हाल बेहाल हैं। सरकारी विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता छीनने से लेकर शिक्षकों के पदों को मंजूरी नहीं देने पर आमादा नौकरशाह निजी विश्वविद्यालयों को बढ़ावा दे रहे हैं। एक निजी विश्वविद्यालय की मंजूरी में पांच-छह करोड़ की घूसखोरी आम बात है।...
More »स्थानीयता की ताकत- एफएओ की नई रिपोर्ट
भारत में कुल कृषि-भूमि का तकरीबन 45 फीसद हिस्सा सिंचित-भूमि की श्रेणी में आता है और इस भूमि के 50 फीसदी हिस्से पर सिंचाई भूमिगत जल के दोहन से होती है। ग्रामीण इलाके में पेयजल की कुल खपत में 85 फीसदी की हिस्सेदारी भूमिगत जल की है लेकिन वे दिन दूर नहीं जब पानी का यह संसाधन दुर्लभ हो जाएगा। समझदारी इसी में है कि भूमिगत जल को साझे की...
More »खेतों में पसीना बहा रहा नक्सली बद्री राय
दुमका : हरसंत का अतीत होता है और हर अपराधी का भविष्य. केंद्रीय कारा में लिखी इसी पंक्ति ने एक अपराधी का भविष्य सुधार दिया है. दुमका सहित आसपास के क्षेत्र में नक्सलियों का जनक माना जाने वाला हार्डकोर उग्रवादी बद्री राय जेल से छूटने के बाद मुख्यधारा में लौट आये हैं. इन दिनों वह अपने गांव सरुवापानी में बंजर जमीन को खेतीलायक बनाने और फसल उपजाकर अपने जीवन को वह...
More »अपनी छोड़ दूसरे की खेत में कर रहे हैं मजदूरी, 10 साल में 3 लाख लोग ने छोड़ी है किसानी
रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश में तीन लाख किसानों ने खेती छोड़ दी है। इतना ही नहीं राज्य में 10 साल पहले जहां 30 लाख लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी करते थे। वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 50 लाख हो गई है। हालांकि इस अवधि में यहां की कुल आबादी में 47 लाख की वृद्धि हुई है। उस समय राज्य की आबादी 2.08 करोड़ थी जो बढ़कर अब 2.55 करोड़ हो...
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