जनसत्ता 8 फरवरी, 2014 : विकास के पूंजीवादी-नवउदारवादी मॉडल की कुछ खास तरह की जरूरतें होती हैं। या कहें कि यह मॉडल आर्थिक संवृद्धि के एवज में कुछ खास बलिदानों की मांग करता है। हम देखते हैं कि भारत सरीखे अधिकतर विकासशील देश इन बलिदानों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अब सवाल है कि विकास की प्रचलित अवधारणा किन बलिदानों की मांग करती है? और ये बलि के बकरे...
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बालू के बवंडर से बदला फैसला
बालू ही नहीं डेढ. दर्जन से अधिक ऐसे लघु खनिज हैं, जिस पर सीधा हक ग्रामसभा व पंचायत का बनता है. अगर कोई सरकार बड़ी कंपनियों के माध्यम से इसकी नीलामी कर इसके निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ती है, तो यह कोशिश ही संविधान की मूल भावना पर चोट है. अगर राजस्व संग्रह, कानून व्यवस्था और पर्यावरण अनुमति का सवाल है, तो यह राज्य सरकार का काम है और...
More »लौह अयस्क खनन पर रोक से एक लाख लोग हुए बेरोजगार
वेदांता रिर्सोसेस के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा है कि लौह अयस्क के खनन पर प्रतिबंध के कारण इंडस्ट्री और लोगों का भरोसा टूट गया है और गोवा व कर्नाटक की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है गोवा और कर्नाटक में लौह अयस्क खनन पर लगी रोक से न केवल अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े एक लाख लोग भी बेरोजगार हो गए हैं।...
More »फिर सवालों के बीच 'बालको'- प्रियंका कौशल
छत्तीसगढ़ में उद्योग सारे नियम कायदे ताक पर रखकर मनमानी करने में लगे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण रायगढ़ के धरमजयगढ़ इलाके के तीन गांव रुकुंगा, बायसी और तराईमार में देखने में आया है. यहां भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) ने ग्रामीणों के विरोध के बावजूद ग्राम सभा में भूमि व्यापवर्तन (डायवर्शन) का प्रस्ताव पास करवा लिया. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. दरअसल धरमजयगढ़ में आने वाला दुर्गापुर तराईमार कोल ब्लॉक बालको को...
More »ग्राम सभाएं दिलायेंगी असली आजादी
कहते हैं लोक सभा न विधान सभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा. इस बात को ओड़िशा के नियमगिरि पहाड़ पर खनन रोकने से संबंधित ग्राम सभा के फैसलों ने और पुष्ट किया है. वेदांता जैसी बड़ी वैश्विक कंपनी को ग्राम सभा के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है. मगर अपने राज्य झारखंड में गांव के लोगों ने अब तक ग्राम सभा की ताकत को नहीं पहचाना है. पंचायती राज के हक...
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