वित्त मंत्रालय द्वारा प्रकाशित इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, वर्ष 2009 से 2012 में प्रति वर्ष संगठित क्षेत्र में मात्र 5 लाख रोजगार का सृजन हुआ है. हमारे श्रम बाजार में प्रति वर्ष एक करोड़ युवा प्रवेश कर रहे हैं, पुराना बैकलॉग कम से कम 6 करोड़ का है. क्या कारण है कि हम केवल 5 लाख रोजगार प्रति वर्ष सृजित कर रहे हैं? कारण है कि कंपनियों द्वारा मशीनों का...
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इस गांव में कभी ख़त नहीं आया
736135. ये महज कोई संख्या नहीं बल्कि भारत के सबसे नए गाँव मशालडांगा का पिन कोड है. भारत-बांग्लादेश ज़मीन समझौते के तहत इसी हफ़्ते पश्चिम बंगाल के कूच बिहार ज़िले का मशालडांगा गाँव भारत का हिस्सा बना है. देश की आज़ादी के बाद अब पहली बार इस बस्ती में डाक आएगी. विभाजन के समय कूचबिहार ज़िले और इससे सटे बांग्लादेश के तीन ज़िलों में कई ऐसे इलाक़े रह गए थे, जो थे तो...
More »आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव
पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...
More »वैश्विक संकट से लड़ने की रणनीति- भरत झुनझुनवाला
पिछले माह में विश्व अर्थव्यवस्था की तसवीर बदल गयी है. पहले ग्रीस (यूनान) का संकट आया. ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लिये डेढ़ अरब डॉलर के ऋण का रिपेमेंट नहीं किया. आनेवाले समय में लगभग दस अरब डॉलर के ऋण का रिपेमेंट ड्यू होने को है, जिसका पेमेंट भी वह देश नहीं कर पायेगा. फिलहाल ग्रीस तथा यूरोपीय यूनियन के बीच समझौता हो गया है. यह समझौता टिकाउ नहीं होगा,...
More »जब भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता है- बीके चतुर्वेदी
तीन दशक से भी पहले मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला संबंधी परीक्षा आयोजित करने के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की स्थापना की गई थी। वह विचार बुरा नहीं था। आम तौर पर इस तरह के चयन से पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही बढ़ावा मिलता है। हालांकि इसका एहसास नहीं था कि सरकारी क्षेत्र के एक संगठन में रोजगार देने की इतनी शक्ति...
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