तरीके से फैलाई गई है कि माओवादी आदिवासियों के रहनुमा हैं। जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी वजह से मेधा पाटकर, अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेश जैसे सामाजिक कार्यकर्ता जब-तब माओवादियों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। लेकिन यह भ्रम है। यह इत्तिफाक है कि अपने देश का जो वनक्षेत्र है वही जनजातीय क्षेत्र भी है, और माओवादी छापामार युद्ध की अपनी...
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पहाड़ के दुख के बीच रैम्बोगीरी
जनसत्ता 4 जुलाई, 2013: जोसेफ हैलर के प्रसिद्ध उपन्यास ‘कैच ट्वेंटी टू' में किसी नकली बीमारी का बहाना बना कर खुद को युद्धक्षेत्र भेजे जाने से मुक्त कर चुका बमवर्षक यूनिट का पादरी पाता है कि आह, भरोसेमंद तरीके से सचमुच का झूठ बोल जाना कितना सहज है! छाती ठोंक कर वह कहता है कि दरअसल निर्ममता को देशप्रेम और परउत्पीड़न को न्याय का पर्याय बताने वाले सफेद झूठों को...
More »110 गांवों पर गिरा लहरों का कहर..
यमुनानगर/पानीपत/करनाल. मानसून के दस्तक देते ही उफनी यमुना से प्रदेश में बाढ़ आ गई है। हरियाणा के करीब 110 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। अगर यमुना का जलस्तर और बढ़ता है तो यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत जिले की नौ विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 500 गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो जाएगा। इन सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। अंबाला में भारतीय सेना...
More »माओवाद को लेकर मतिभ्रम- विनोद कुमार
जनसत्ता 31 मई, 2013: झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के वनक्षेत्र वाले इलाकों में माओवादी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। हाल में झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर हमला कर माओवादियों ने तीन दर्जन लोगों को मार डाला। इस हमले में मारे जाने वाले कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हैं। आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां अगर ‘विकास...
More »विश्वास जीते बिना हल नहीं- सुदीप श्रीवास्तव
दरभा घाटी में जिस तरह नक्सलियों ने कार्रवाई की है, उसके कई आयाम दिख रहे हैं। इससे पहले राजनेताओं पर इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने आक्रमण नहीं किया था, फिर इस घटना ने नक्सलियों की रणनीति को भी उलझा दिया है। नक्सल विरोधी आंदोलन के अगुवा रहने के कारण महेंद्र कर्मा की हत्या की वजह तो दिखती है, पर प्रत्यक्ष रूप से कोई रिश्ता नहीं होने के बाद भी नंद कुमार...
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