कहावत है कि का बरसा जब कृषि सुखाने और इस कहावत से सीख लेते हुए मानसून की पिछात बारिश में मारे खुशी के फूलकर कुप्पा होने से पहले यह सोचना जरुरी है कि आखिर नुकसान कितना हो चुका है। नुकसान हुआ है और भरपूर हुआ है। देश के खेतिहर इलाके के ६० फीसदी हिस्से पर, खासकर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, इस बार रबी की फसल नहीं काटी जा सकेगी और ये...
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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
More »150 सालों में भारत से रूठ जाएगा मानसून!
गर्मी के दौरान देश भर में बारिश का दौर लाने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून अगले 150 वर्षों में अपना अस्तित्व खो सकता है। पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी द्वारा किए गए नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि पृथ्वी के तापमान में आ रही गर्मी के कारण अरब सागर के तापमान में वृद्धि हो रही है। इस तापमान वृद्धि के कारण भूमि और सागर के बीच के तापमान के...
More »बारिश से सोयाबीन की फसल को फायदा, भाव गिरे
हाल में हुई जोरदार बारिश ने अन्य फसलों सहित सोयाबीन को काफी फायदा पहुंचाया है। जिससे मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने के आसार हैं। इसका सीधा असर सोया तेल और सोयाबीन के दामों में देखने को मिल रहा है। सोया तेल के दाम पिछले दो हफ्तों में दस फीसदी तक गिर गए हैं। पहले बारिश की कमी से फसल को नुकसान होने का अंदेशा था। अगस्त के मध्य...
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