महानंदा नदी को क्या कोसी नदी की तरह ही बिहार या सीमांचल का अभिशाप कहा जा सकता है? यह सवाल उठा रहे हैं कटिहार जिला के कदवा प्रखंड में जमा हुए हजारों लोग. देश में राजनीति के बदले माहौल में भी यदि यह संभव हो सका कि आस-पास के कई विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान और भूतपूर्व विधायक अपनी पार्टियों की पहचान से ऊपर उठकर एक मंच पर आ सकें और...
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हाईकोर्ट में जज ने कहा- वकालत की हुई दुर्गति, वकीलों का एक मात्र उद्देश्य जेबें भरना
मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को खेद व्यक्त किया कि वकीलों का महान पेशा सबसे खराब स्थिति तक पहुंच गया है और अब वकीलों का एकमात्र उद्देश्य अपनी जेबों को भरना है। न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण ने वकीलों भाष्कर मदुरम और लेनिन कुमार की एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह मौखिक टिप्पणी की। याचिका में वकीलों के निकाय के चुनाव लड़ने के लिए तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल द्वारा...
More »अपनी जड़ों को खोजते वे भारतवंशी- बद्री नारायण
हिंदी पट्टी ने ब्रिटिश उपनिवेश काल में अनेक मुसीबतें झेलीं। इनकी दो मुसीबतें अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं, जिन्होंने मिलकर हिंदी क्षेत्र का वर्तमान रचा है। एक तो 1857 का विद्रोह, दूसरा गिरमिटिया विस्थापन, जिसे प्रवास, उत्प्रवास कुछ भी कहा जा सकता है। भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटककार भिखारी ठाकुर ने इसे बिदेसिया हो जाना भी कहा है। 19वीं सदी में दास प्रथा की समाप्ति के बाद दुनिया में आक्रामक रूप से...
More »सरकार, विपक्ष, किसान नेता: किसी के एजेंडे में किसान नहीं
नई दिल्ली। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मंदसौर से शुरू हुए किसान आंदोलन की आहट उत्तर प्रदेश में भी पहुंच चुकी है। यहां के किसान संगठन भी इस बात से नाराज हैं कि योगी सरकार ने 1 लाख रुपए तक ही लोन माफ किया है। इसके अलावा इसमें भी तमाम तरह की शर्ते जोड़ दी गईं हैं। लेकिन पिछले 15 दिन से नेशनल मीडिया में किसानों के मुद्दे पर चल...
More »आदिवासी समाज का वह योद्धा-- रामचंद्र गुहा
जीवनी लिखने की विधा अपने यहां बहुत विकसित नहीं हो पाई है। हम जीवित लोगों की चापलूसी करना तो जानते हैं, पर गुजर चुके लोगों के बारे में अधिकार के साथ लिखने की अंतरदृष्टि विकसित नहीं कर पाए। अतीत से लेकर आज तक के नेताओं पर किताबें मिल जाएंगी, लेकिन उनमें से कुछ ही होंगी, जो साहित्य या पढ़ने लायक किताब होने की शर्त पूरी करें। गोखले पर बी आर...
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