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दास्तान-ए-आरटीआई: कहीं मुख्य सूचना आयुक्त नहीं तो कहीं सूचना आयोग ही नदारद !

क्या हाल-फिलहाल कभी आपके मन में आया कि देश में सूचना का अधिकार कानून के अमल हालत कैसी है ? अगर आपके मन में ऐसा सवाल कौंधा हो तो नीचे लिखे तथ्य आपको जवाब तक पहुंचाने में मददगार साबित हो सकते हैं:   देश के 19 सूचना आयोगों में मार्च(2018) के पहले पखवाड़े तक 1.93 लाख द्वितीय अपील और शिकायत की अर्जियां अपने निपटारे की बाट जोहती लंबित पड़ी हैं.    केंद्रीय सूचना आयोग...

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सूरज की किरणों से बंधती एक उम्मीद-- विजय कुमार चौधरी

दुनिया अब फिर से सूरज की ओर देख रही है। फॉसिल फ्यूल के प्रदूषण से परेशान और ग्लोबल वार्मिंग की आशंकाओं से चिंतित दुनिया की सारी उम्मीदें अब सूर्य के प्रकाश पर ही टिक गई हैं। 11 फरवरी को नई दिल्ली में भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (इंटरनेश्नल सोलर एलायंस) के पहले शिखर सम्मेलन को इसी दृष्टि से देखे जाने की जरूरत है। यह...

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क्यों ठीक नहीं है 'फेक न्यूज' शब्द का प्रयोग- पढ़िए, युरोपीय कमीशन की इस रिपोर्ट में..

फेक न्यूज क्या है, क्या आपने कभी इसकी परिभाषा करने के बारे में सोचा है ? किसी जवाब तक पहुंचने से पहले नीचे दर्ज दो घटनाओं पर गौर कीजिए!   नोटबंदी के वक्त एक वीडियो वायरल हुआ कि सरकार ने जो नये नोट जारी किए हैं उनमें जीपीएस-ट्रैकिंग माइक्रोचिप्स लगे है. क्या उस वीडियो को फेक न्यूज का उदाहरण माना जाये, जैसा कि उस वक्त एक खबर में करार दिया गया ? नये नोट...

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जब डूबने लगेंगे तटीय शहर-- अरविन्द कुमार सिंह

जलवायु संकट की वजह से पिघलती बर्फ के कारण समुद्र का जल-स्तर इस सदी के अंत यानी वर्ष 2100 तक वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान से दोगुने से भी ऊपर निकल जाएगा। यह चौंकाने वाली बात अमेरिका के कोलाराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित शोध में कही है। वैज्ञानिकों ने वर्ष 2100 तक समुद्र का जल-स्तर तीस सेंटीमीटर बढ़ने का अनुमान लगाया था। लेकिन...

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सिर्फ नियमों से नहीं लगेगी लगाम-- नीलंजन राजाध्यक्ष

भारतीय बैंकिंग की एक बुनियादी समस्या है, अनुचित इन्सेंटिव यानी प्रोत्साहन राशि। नीरव मोदी मामले के खुलासे के बाद हम बेशक वर्षों से कर्ज बांटने की खराब परिपाटी के कारण बैंकों की साख पर बन आए संकट पर अपना ध्यान केंद्रित करें, पर इन्सेंटिव पर भी कहीं अधिक गौर करने की जरूरत है। इस इन्सेंटिव समस्या को अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, शॉन कोल और एस्थेर डूफ्लो ने एक शोध पत्र में बखूबी...

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