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कृषि उत्पादन नहीं, मूल्य बढ़ायें- भरत झुनझुनवाला

अर्थव्यवस्था में तीव्र विकास के बावजूद कृषि और किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. पिछले साठ वर्षो में प्रत्येक सरकार ने कृषि में सुधार का संकल्प लिया है, किंतु स्थिति बिगड़ती गयी है, जैसा कि आत्महत्या की बढ़ती संख्या से अनुमान लगता है. मूल कारण यह है कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ज्यादा रहा है, मूल्यों में वृद्धि की ओर कम. मान्यता है कि...

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किसान आत्महत्या मामले : अध्ययन के लिए संसदीय समिति बनाने का प्रस्ताव

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (एजेंसी) किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या के मामलों का गहराई से अध्यनन करने और ऐसी घटनाओं को रोेकने के मकसद से सरकार ने आज एक संसदीय समिति गठित करने का प्रस्ताव किया जिसमें दोनों सदनों के सदस्यों की मौजूदगी हो। विपक्ष ने सरकार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया। कृषि मामलों पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने...

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मंदी की आहट- परंजय गुहाठाकुर्ता

देश की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से नीचे जा रही है, उसके कई निहितार्थ हैं। अभी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड गिरावट तक पहुंच गया है। गिरते-गिरते रुपया पहली बार ५३ के स्तर तक पहुंचा है। औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) भी गिरकर अक्तूबर में -५.१ प्रतिशत पर आ गया है। औद्योगिक उत्पादन में शामिल सभी क्षेत्रों में कमोबेश गिरावट देखी गई है। इतना ही नहीं, इस वर्ष देश का...

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महंगाई की आग- परंजय गुहाठाकुरता

महंगाई की समस्या आज विकराल होती जा रही है, तो इसके लिए सरकार और उसकी नीतियां ही जिम्मेदार हैं। हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री का लोहा दुनिया मानती है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तक कह चुके हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालने में मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियां मददगार साबित हो सकती हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि वही मनमोहन सिंह अपनी अर्थव्यवस्था को मंदी के भंवर से बाहर निकालने में...

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महंगाई के पीछे गलत नीतियां- सी पी राय

समूचा देश आज महंगाई की समस्या से परेशान है। लेकिन सारी महंगाई अंतरराष्ट्रीय कारणों से नहीं है, जैसा कि सरकारी पक्ष बताता आ रहा है। साफ है कि 120 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाला यह देश सेंसेक्स और कुछेक लोगों को समृद्ध करने वाली नीतियों से नहीं चल सकता। कुछ तो है, जिसे हमारे तथाकथित अर्थशास्त्री नहीं समझ पा रहे हैं या नहीं समझने का नाटक कर रहे हैं या...

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