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चावल की कई किस्में गायब

रायपुर. बारिश की कमी के कारण राज्य के ज्यादतर किसान पिछले कुछ सालों से लंबी अवधि के धान नहीं लगा रहे। इसके कारण ‘धान का कटोरा’ कहलाने वाले छत्तीसगढ़ में स्थानीय विशेषता वाली चावल की किस्में धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का असर इंसान और पशु-पक्षियों के अलावा फसलों पर भी नजर आने लगा है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण राज्य के...

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जलवायु बिगाड़ा, कीमत चुकाओ

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जारी कूटनीति के बीच विकासशील देशों को एक बड़ा सहारा मिला है. विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट  में कहा है कि अब भी धरती के जलवायु को बचाना मुमकिन है, लेकिन धनी देशों को इसकी बड़ी जिम्मेदारी उठानी होगी. दिसंबर में डेनमार्क के शहर कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर होनेवाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले जारी इस रिपोर्ट में विश्व बैंक ने धनी देशों...

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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट

खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...

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कोसी का कहर

कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...

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150 सालों में भारत से रूठ जाएगा मानसून!

गर्मी के दौरान देश भर में बारिश का दौर लाने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून अगले 150 वर्षों में अपना अस्तित्व खो सकता है। पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी द्वारा किए गए नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि पृथ्वी के तापमान में आ रही गर्मी के कारण अरब सागर के तापमान में वृद्धि हो रही है। इस तापमान वृद्धि के कारण भूमि और सागर के बीच के तापमान के...

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