सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...
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बफर जोन बनाएं, कॉरिडोर बचाएं
बाघ बचाने के तमाम उपायों और कार्ययोजनाओं में से एक महत्वपूर्ण उपाय है राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों एवं संरक्षित वनों के बाहर के क्षेत्र का संरक्षण। दुर्भाग्य से देश भर में यह नहीं हो रहा है। यहां सीधे-सीधे बाघ के वजूद और आदमी के स्वार्थों का टकराव है। राजनेता, खनन माफिया और अन्य स्वार्थी-लोभी तत्व ऐसे उपायों का विरोध करते हैं। बाघ की सुरक्षा के लिए बफर क्षेत्र उपयोगी है इसलिए टाइगर रिजर्व...
More »खाद्य सुरक्षा क़ानून में विसंगतियां
इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) और सरकार का अंतरद्वंद्व खुलकर सार्वजनिक रूप से उजागर हो गया है। ज़्यां द्रेज़ का मानना है कि एनएसी ने चार महीनों की मेहनत के बाद जिस मसौदे को अंतिम रूप दिया है उससे खाद्य सुरक्षा का वादा पूरा कर पाने में सरकार विफल ही रहेगी। मसौदे को एक निराशाजनक दस्तावेज़ करार देते हुए उन्होंने इससे कड़े शब्दों में अपनी असहमति...
More »सोनिया के 'कुनबे' में कलह, इस्तीफा देंगे कई सदस्य
भोपाल. खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) में फूट पड़ गई है। परिषद के कई सदस्य सिफारिशों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने परिषद की मंशा पर ही सवालिया निशान लगाए हैं। इनमें सबसे आगे ख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर ज्यांद्रेज और हर्ष मंदर हैं। कुछ सदस्य परिषद की सदस्यता भी छोड़ सकते हैं। खाद्य सुरक्षा को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे ज्यांद्रेज और हर्ष मंदर को परिषद ने...
More »फिर सरकार बनी तो हर गरीब परिवार को अनाज : नीतिश
सीतामढ़ी/शिवहर। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने कहा कि केंद्र बिहार के गरीबों के लिए अनाज दे या नही, परन्तु अगली बार सरकार बनी तो बिहार के लिए अलग से पैकेज बना कर हर गरीब परिवार को अनाज या अनाज के लिए पैसा दिया जायेगा। सीएम श्री कुमार ने कहा कि बिहार की आबादी 9 करोड़ है जिसमें 6 करोड़ गरीब है। 1.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे है। लेकिन केंद्र की...
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