-डॉयचे वेले, कोरोना संकट के दौरान लाखों प्रवासी कामगारों ने यह सोच कर घरों का रुख किया कि वे अपने लोगों के बीच रहकर कुछ न कुछ करके जीवन-यापन कर लेंगे. लेकिन बिहार में रोजगार के सीमित अवसरों के बीच 'कुछ न कुछ' भी तलाशना उनके लिए भारी पड़ रहा है. अकुशल मजदूरों के लिए दिहाड़ी तो कुशल या अर्द्धकुशल कामगारों के लिए रोजगार के सीमित अवसर परेशानी का सबब बन...
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लॉकडाउन का असर मध्यप्रदेश के नवजात बच्चों पर भी, संस्थागत प्रसव में कमी
-डाउन टू अर्थ, मध्यप्रदेश के रीवा जिले के अंसरा गांव में गर्भवती महिला शिवजानकी (26) अपना प्रसव अस्पताल में कराना चाह रही थी। प्रसव पीड़ा से पहले एंबुलेंस बुलाने के लिए उनके पति मिथिलेश कोल ने कई फोन किए, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। थक-हारकर शिवजानकी का प्रसव घर में ही कराने का फैसला हुआ। 21 मई को शिवजानकी ने प्रियांशी को जन्म दिया। कोविड-19 महामारी से लड़ाई के लिए लगे लॉकडाउन...
More »लॉकडाउन में रिवर्स पलायन के बाद एक बार फिर काम की तलाश में वापस लौटने लगे मजदूर
-गांव कनेक्शन, लॉकडाउन में जो मजदूर किसी तरह परेशानियों को झेलते और जद्दोजहद के बाद अपने गाँव पहुंचे थे, एक बार फिर जहां से आए थे काम की तलाश में फिर से वहीं के लिए लौटने लगे हैं। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर से मजदूरों का राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में काम के लिए पलायन शुरू हो गया है। ठेकेदार एक बार फिर अपनी जरूरत के लिए...
More »किसानों को पैकेज और अध्यादेशों से कोई फायदा नहीं
-आउटलुक, आजादी के बाद पिछले 70 साल से किसान घाटे का सौदा कर रहे हैं। एक तरफ उसकी जोत कम हो रही है, दूसरी तरफ उत्पादन की लागत बढ़ रही है। लेकिन उन्हें उपज बेचने पर लागत भी नसीब नहीं होती है। हर सरकार किसानों की पीड़ा का जिक्र चुनाव प्रचार में तो करती है, लेकिन जीतने के बाद पांच साल के लिए किसानों को भूल जाती हैं। जहां कोरोना से...
More »प्रशासन की बेरुखी से उजड़ रहे उत्तरकाशी के ये गांव, नहीं हुआ विकास
-द क्विंट, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज 3-4 किमी की दूरी पर बसे जसपुर, सिल्याण, निराकोट गांव की आबादी लगभग एक हजार के आस-पास है, लेकिन इन गांव के ज्यादातर लोग अब जिले के नगरपालिका क्षेत्र तिलोथ गांव या मुख्य बाजार में किराए के कमरों मे रहने को मजबूर है. गांव में पर्याप्त पानी, बिजली, खेती और मिश्रित जंगल मौजूद हैं लेकिन ऊंची पहाड़ी पर बसे इन गांव में दशकों...
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