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कर्ज - आत्महत्या | किसान और आत्महत्या
किसान और आत्महत्या

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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो द्वारा जारी एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2017 (जनवरी, 2020 में जारी) के अनुसार (देखने के लिए कृपया यहाँयहाँ और यहाँ क्लिक करें):

 

• वर्ष 2016 (1,31,008 suicides) के आंकड़ों की तुलना में 2017 (1,29,887 आत्महत्याओं) के दौरान आत्महत्याओं में लगभग -0.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. वर्ष 2016 (10.3 प्रति लाख जनसंख्या पर) के मुकाबले साल 2017 के दौरान आत्महत्या की दर (9.9 प्रति लाख जनसंख्या) में -0.4 अंक की कमी आई है. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

• 2017 के दौरान कुल 5,955 किसानों ने आत्महत्या की, जोकि देश में कुल आत्महत्या पीड़ितों का 4.58 प्रतिशत है. हालांकि, 2017 के दौरान 4,700 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की, जो कुल आत्महत्या पीड़ितों का लगभग 3.62 प्रतिशत है. इस हिसाब से 2017 में भारत में कृषि क्षेत्र में किसान आत्महत्याओं (किसानों और खेतिहर मजदूर समेत) की कुल संख्या 10,655 थी, जोकि कुल आत्महत्या पीड़ितों का लगभग 8.2 प्रतिशत है. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

• एक 'किसान वह है जिसका पेशा खेती है और इसमें वे लोग शामिल हैं जो अपनी ज़मीन पर खेती करते हैं और साथ ही वे लोग भी शामिल हैं जो खेतिहर मज़दूरों की सहायता से या बिना, किराए/पट्टे की ज़मीन पर खेती करते हैं. एक 'कृषि मजदूर' वह व्यक्ति होता है जो मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र (कृषि / बागवानी) में काम करता है, जिसका मुख्य स्रोत कृषि श्रम गतिविधियों से होता है. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

• साल 2017 में कुल 5,633 पुरुष किसानों और 322 महिला किसानों ने आत्महत्याएं कीं, जोकि कुल किसानों की आत्महत्याओं का क्रमशः 94.59 प्रतिशत और 5.41 प्रतिशत (अर्थात 5,955) था. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

• कृषि मजदूरों की सहायता या उनके बिना अपनी जमीन पर खेती करने वाले किसानों की आत्महत्या की कुल संख्या 5,203 थी.

 

• खेतिहर / किसानों के बीच आत्महत्या करने वाले वे किसान जो दूसरों की जमीन पट्टे या किराए पर लेकर खेतिहर मजदूरों की सहायता या उनके बिना खुद खेती करते हैं, ऐसे किसानों की आत्महत्या की कुल संख्या 752 थी.

 

• कुल 4,219 पुरुष खेत मजदूरों और 480 महिला खेत मजदूरों ने आत्महत्या की, जोकि कुल कृषि मजदूरों की आत्महत्या का क्रमशः 89.77 प्रतिशत और 10.21 प्रतिशत था. एक कृषि मजदूर भी ट्रांसजेंडर था. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.  

 

• कुछ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों, जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, उत्तराखंड, चंडीगढ़ यूटी, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुदुचेरी में किसानों के साथ-साथ कृषि मजदूरों के शून्य आत्महत्या का आंकड़ा दर्ज किया गया.

 

• 2017 में महाराष्ट्र में सबसे अधिक कृषि आत्महत्याएं (किसानों के साथ-साथ कृषि मजदूरों की कुल आत्महत्याएं) दर्ज की गईं (3,701, जो कुल कृषि आत्महत्याओं का लगभग 34.73 प्रतिशत है.), इसके बाद कर्नाटक (2,160), मध्य प्रदेश (955), तेलंगाना (851) और आंध्र प्रदेश (816) में दर्ज किया गया. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

• 2017 में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की सबसे अधिक रिपोर्टें महाराष्ट्र (2,426 किसानों द्वारा की गई आत्महत्या का लगभग 40.74 प्रतिशत) हैं, उसके बाद कर्नाटक (1,157), तेलंगाना (846), मध्य प्रदेश (429) और आंध्र प्रदेश (375) में दर्ज की गईं. एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

• 2017 में खेतिहर मजदूरों द्वारा सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र (1,275), कर्नाटक (1,003), मध्य प्रदेश (526), आंध्र प्रदेश (441) और तमिलनाडु (369) में दर्ज की गईं. देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.   

 

• एडीएसआई 2017 की रिपोर्ट किसान आत्महत्याओं के पीछे के कारण नहीं बताती है.

 



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