Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
भूख | कुपोषण
कुपोषण

कुपोषण

Share this article Share this article

What's Inside

विशेषज्ञों के एक समूह की न्यूट्रिएंट्स रिक्वायरमेंट फॉर इंडियंस –रिकमेंडेड डाइटरी एलाउंस एंड एस्टीमेंट एवरेज रिक्वारमेंट नाम से एक रिपोर्ट जारी हुई है (2022 
पूरी रपट के लिए यहां क्लिक कीजिए.

यह विशेषज्ञों का समूह भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी. एम. आर) और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा गठित किया गया था.


आईसीएमआर– भारत में जैव–चिकित्सा पर अनुसंधान के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य महकमें में आने वाली एक संस्था है. जिसका गठन 1911 में किया गया था.
राष्ट्रीय पोषण संस्थान-हैदराबाद में स्थित जन स्वास्थ्य और पोषण पर अनुसंधान करने वाला एक संस्थान है.

यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2019 - चिल्ड्रन, फूड एंड न्यूट्रीशन: ग्रोइंग वेल इन अ चेंजिंग वर्ल्ड’ (अक्टूबर, 2019 में जारी) रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष निम्नानुसार हैं: (रिपोर्ट देखने के लिए कृपया यहां और यहां क्लिक करें.):

 

 • वर्ष 2015 में भारत में 5 साल से कम उम्र के 54 प्रतिशत बच्चे वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से औसत से कम वजन), स्टटिंग (उम्र के हिसाब से कद में छोटे) या मोटापे के शिकार थे, अफगानिस्तान में 49 प्रतिशत, 2014 में बांग्लादेश में 46 प्रतिशत, 2016 में नेपाल में 43 प्रतिशत, 2018 में पाकिस्तान में 43 प्रतिशत बच्चे, 2010 में भूटान में 40 प्रतिशत, 2009 में मालदीव में 32 प्रतिशत, श्रीलंका में 28 प्रतिशत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में 50 प्रतिशत बच्चे वेस्टिंग, स्टटिंग और मोटापे के शिकार थे. 

 

• इस रिपोर्ट में अध्ययन किए गए सभी देशों में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मामले में भारत दूसरे देशों से आगे है. 2018 में देश में पांच साल से कम उम्र के 8.82 लाख बच्चों की मौत हुई. नाइजीरिया में यह आंकड़ा 8.66 लाख और पाकिस्तान में 4.09 लाख था.

 

• 2018 में भारत में पांच वर्ष से कम आयु का औसतन मृत्यु दर (प्रति 1,000 नवजातों के जन्मों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु) 37 था. यह बांग्लादेश का 30, पाकिस्तान का 69, नेपाल का 32, चीन का 9, और श्रीलंका का 7 था.

 

• भारत की पांच वर्ष से कम आयु मृत्यु दर 1990 में 126 से घटकर 2000 में 92 और 2018 में 37 हो गई.

 

• देश की शिशु मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों में एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु) 1990 में 89 से घटकर 2018 में 30 हो गई.

 

• देश की नवजात मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों में 28 दिन से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु) 1990 में 57 से घटकर 2000 में 45 और 2018 में 23 हो गई.

 

• 2018 में, देश के 28 दिनों से कम आयु के 5.49 लाख बच्चों की मृत्यु हुई.

 

• 2018 में, सभी 5 वर्ष से कम आयु की मौतों के मुकाबले नवजातों की मृत्यु का अनुपात 62 प्रतिशत था.

 

• भारत की जीवन प्रत्याशा 1970 में 48 वर्ष से बढ़कर 2000 में 63 वर्ष और 2018 में 69 वर्ष हो गई.

 

• 2018 में 5-14 वर्ष की आयु के बच्चों की मृत्यु की संख्या 1.43 लाख थी.

 

• 2017 में भारत में मातृ मृत्यु की कुल संख्या 35,000 थी. उस वर्ष देश का मातृ मृत्यु अनुपात 145 था. यह उन महिलाओं की संख्या को संदर्भित करता है जो उस वर्ष प्रति 100,000 जीवित जन्मों में गर्भावस्था या प्रसव की जटिलताओं के परिणामस्वरूप मर जाती हैं.

 

• वर्ष 2013-2018 के दौरान स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से कद में छोटे) का शिकार हुए 0-4 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का अनुपात 38 प्रतिशत था. सबसे गरीब 20 प्रतिशत जनसंख्या के 51 प्रतिशत और सबसे अमीर 20 प्रतिशत जनसंख्या के 22 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग के शिकार थे.

 

• 2013-2018 के दौरान गंभीर रूप से वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से औसत से कम वजन) का शिकार हुए 0-4 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का अनुपात 8 प्रतिशत था. इसी समय अवधि के दौरान गंभीर और मध्यम रूप से वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से औसत से कम वजन) का शिकार हुए 0-4 वर्ष की आयु के बच्चों का अनुपात 21 प्रतिशत था.

 

• 2013-2018 के दौरान अधिक वजन वाले (मध्यम और गंभीर) आयु वर्ग के बच्चों का अनुपात 2 प्रतिशत था.

 

• 2016 के दौरान 5-19 वर्ष के आयु वर्ग के अधिक वजन वाले और मोटापे का शिकार हुए बच्चों का अनुपात 7 प्रतिशत था.

 

• 2016 में 18 वर्ष से ऊपर की लगभग 24 प्रतिशत महिलाओं का वजन कम था (बॉडी मास इंडेक्स <18.5 किलोग्राम प्रति मीटर वर्ग).

 

• 2016 में 15-49 वर्ष की आयु-समूह की लगभग 51 प्रतिशत महिलाएं हल्के, मध्यम और गंभीर रूप से एनीमिया से पीड़ित थीं.

 

• 2013-2018 में आयोडीन युक्त नमक का सेवन करने वाले 93 प्रतिशत परिवार थे.

 

• 2018 में, 6-23 महीने के बच्चे, पाकिस्तान में 15 प्रतिशत, भारत में 20 प्रतिशत, अफ़गानिस्तान में 22 प्रतिशत, बांग्लादेश में 27 प्रतिशत, नेपाल में 45 प्रतिशत, मालदीव में 71 प्रतिशत, दक्षिण एशिया क्षेत्र में 20 प्रतिशत और वैश्विक स्तर पर 29 प्रतिशत, 8 में से कम से कम 5 खाद्य समूह (न्यूनतम आहार विविधता) भोजन के रूप में खा रहे थे.

 

• दक्षिण एशिया में, 12-23 महीने के बच्चों की तुलना में 6-11 महीने के बच्चे कम विविध आहार खा रहे हैं.

 

• 2018 में, वैश्विक स्तर पर 5 वर्ष से कम आयु के 14.9 करोड़ बच्चे स्टंटिंग और लगभग 4.95 करोड़ बच्चे वेस्टिंग का शिकार थे. दक्षिण एशिया में, 5 साल से कम उम्र के 5.87 करोड़ बच्चे स्टंटिंग और 2.59 करोड़ बच्चे वेस्टिंग का शिकार थे.

 

• 2018 में, 5 साल से कम उम्र के विश्व स्तर पर 4 करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार थे. वहीं दक्षिण एशिया में 5 साल से कम उम्र के 52 लाख बच्चे मोटापे का शिकार हैं.

 

• 2018 में, दक्षिण एशिया में लगभग तीन-चौथाई बच्चों को पशु स्रोत खाद्य पदार्थों से मिलने वाले बहुत जरूरी पोषक तत्व नहीं खिलाए जा रहे थे.

 

• दक्षिण एशिया में 56 प्रतिशत बच्चों को कोई फल या सब्जी नहीं खिलाई जा रही थी.

 

• कुपोषण का उपयोग अब बच्चों को स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से छोटा कद) और वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से कम वजन), आवश्यक विटामिन और खनिजों की कमियों के चलते 'छिपी हुई भूख' के साथ-साथ मोटापे के शिकार हुए बच्चों की बढ़ती संख्या के बारे में बताने के लिए किया जाना चाहिए.

 

• लाखों करोड़ों बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं. इसका प्रभाव पर्याप्त पोषण से वंचित बच्चों के छोटे और दुबले शरीर में पहले 1,000 दिनों से ही दिखाई देने लगता है.

 

• पर्याप्त पोषण से वंचित बच्चों के दुबले शरीर में भोजन की कमी, खराब दूध पिलाने की प्रथाओं और संक्रमण, अक्सर गरीबी, मानवीय संकटों और संघर्षों से जटिल होने जैसी परिस्थितियों से भी अविकसितता स्पष्ट होती है, और इस तरह के बहुत सारे मामलों में बच्चों की मौत तक हो जाती है.

 

• लंबे समय तक अधिक वजन और मोटापे को धनी लोगों की बीमारी समझा जाता था. मगर गरीब भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, जोकि दुनिया भर में वसायुक्त और शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों से मिलने वाली ’खराब कैलोरी’ की अधिक उपलब्धता के चलन को दर्शाता है. ऐसे भोजन और मोटापे से टाइप 2 डायबिटीज जैसी गैर-संचारी बीमारियां होने के खतरे बढ़ जाते हैं.

 

• बच्चे और युवा बहुत कम मात्रा में स्वस्थ भोजन और बहुत अधिक मात्रा में अस्वास्थ्यकर भोजन खा रहे हैं. 



Rural Expert


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close