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भूख | कुपोषण
कुपोषण

कुपोषण

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What's Inside

 

भुखमरी और कुपोषण की दशा पर केंद्रित अर्बन हंगामा( Urban HUNGaMA) रिपोर्ट नंदी फाउंडेशन ने फरवरी 2018 में जारी की. यह रिपोर्ट देश की सर्वाधिक आबादी वाले शहरों मुंबई, दिल्ली, बंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत, पुणे और जयपुर में हुए एक सर्वेक्षण पर आधारित है. सर्वेक्षण में जानने की कोशिश की गई कि 0-59 माह के बच्चों के पोषण की स्थिति कैसी है. जिन शहरों में सर्वेक्षण हुआ उनमें समवेत रुप से देखें तो देश की आबादी का 5.3 फीसद तथा 0-71 माह के बच्चों का 4.1 प्रतिशत हिस्सा रहता है. 

 

सर्वेक्षण में कुल 12,286 माताओं का साक्षात्कार लिया गया तथा 0-59 माह के कुल 14,616 बच्चों का लंबाई और भार के लिहाज से आकलन हुआ. 

 

अर्बन हंगामा रिपोर्ट: न्यूट्रीशन एंड द सिटी के मुख्य तथ्य :

मूल रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें  

 

• जन्म के समय कम वजन(2.5 किलोग्राम से कम) वाले बच्चों की तादाद 15.7 प्रतिशत पायी गई. हैदराबाद में ऐसे बच्चों की तादाद 13.5 प्रतिशत है तो कोलकाता में 25.1 प्रतिशत. 

 

•  पांच साल से कम उम्र के कुल 22.3 प्रतिशत बच्चे लंबे वक्त से कुपोषण का शिकार होने के कारण स्टटिंग के शिकार हैं. कुल 7.6 प्रतिशत बच्चों में स्टटिंग की स्थिति को अत्यंत गंभीर माना जा सकता है. 

 

• स्टटिंग के शिकार बच्चों की संख्या चेन्नई में 14.8 प्रतिशत थी जबकि दिल्ली में 30.6 प्रतिशत. जिन परिवारों में बच्चों की माताओं की स्कूली शिक्षा पांच साल या इससे कम है उनमें स्टटिंग की चपेट में आये बच्चों की संख्या ज्यादा(35.3 प्रतिशत) है जबकि 10 साल या इससे ज्यादा समय की स्कूली शिक्षा वाली माताओं वाले परिवारों में ऐसे बच्चों की तादाद कम(16.7 प्रतिशत) है.

 

• आर्थिक संपदा के लिहाज से जो परिवार श्रेणीक्रम में सबसे निचले स्तर पर हैं उन परिवारों में स्ट्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या( 29.3 प्रतिशत) आर्थिक संपदा के लिहाज से सबसे ऊपरली श्रेणी के परिवारों की तुलना में ज्यादा है.(ऊपरली श्रेणी के परिवारों में स्ट्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या 15.0 प्रतिशत) 

 

• लगभग 13.9 प्रतिशत बच्चे वेस्टिंग के शिकार हैं. 3.2 प्रतिशत बच्चों में वेस्टिंग की स्थिति अत्यंत गंभीर मानी जा सकती है. 

 

• जयपुर में वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या 10.8 प्रतिशत है तो मुंबई में 19.0 प्रतिशत. 

 

• स्टटिंग की ही तरह वेस्टिंग के मामले भी उन परिवारों में ज्यादा हैं जहां माताओं की स्कूली शिक्षा कम सालों तक हुई है. जिन परिवार के माताओं की स्कूली शिक्षा पांच साल या इससे कम समय तक हुई है उन परिवारों में वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या 17.6 प्रतिशत है जबकि जिन परिवारों में माताओं की स्कूली शिक्षा 10 साल या उससे ज्यादा समय तक हुई है उन परिवारों में वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या 12.2 प्रतिशत है. आर्थिक श्रेणीक्रम में सबसे निचली सीढ़ी के परिवारों में वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या 16.7 प्रतिशत है जबकि आर्थिक श्रेणीक्रम में सबसे ऊपरली सीढ़ी के परिवारों में 10.5 प्रतिशत. 

 

• मानक से ज्यादा भार के बच्चों की तादाद 2.4 प्रतिशत है. हैदराबाद में ऐसे बच्चों की तादाद 0.7 प्रतिशत है तो चेन्नई में 3.7 प्रतिशत. 

 

• आर्थिक श्रेणीक्रम में सबसे ऊपरली सीढ़ी के परिवारों में मानक से ज्यादा भार वाले बच्चों की तादाद 3.6 प्रतिशत है जबकि आर्थिक श्रेणीक्रम में सबसे निचली सीढ़ी के परिवारों में ऐसे बच्चों की तादाद 1.8 प्रतिशत है. 

 

• देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 शहरों में हर 4 बच्चे में 1 बच्चा लंबे समय से कुपोषण का शिकार चला आ रहा है और इस कारण उसका शारीरिक विकास सामान्य से कम हुआ है. 

 

•  देश के दस सर्वाधिक आबादी वाले शहरों में केवल 22.5 प्रतिशत (यानि चार बच्चों में एक से भी कम) बच्चों को ही वैसा भोजन मिल पाता है जो उनके सेहतमंद शारीरिक विकास के लिए जरुरी है. 



Rural Expert


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