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किसान-आत्महत्या : सबसे ज्यादा परेशान सीमांत और छोटे किसान !

मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की ! देश में खेती-किसानी का हाल कुछ ऐसा ही है. किसान-आत्महत्या के नये आंकड़े संकेत करते हैं कि बीते 2 सालों में देश में कृषि-संकट और ज्यादा गहरा हुआ है.   खेतिहर मजदूर से ज्यादा किसानों की आत्महत्या एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक एक साल के भीतर(2014 से 2015) किसान-आत्महत्या की संख्या में 41.7 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि आत्महत्या करने वाले खेतिहर मजदूरों की संख्या में तकरीबन एक...

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कम क्यों है भ्रष्टाचार की शिकायतें ?

रोजमर्रा के शासन-प्रशासन में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत बहुत कम ! इस विरोधाभास की व्य़ाख्या कैसे हो ? क्या भ्रष्टाचार रोकने के कानूनों पर अमल इतना लचर है कि लोगों को इंसाफ मिलने का भरोसा ही नहीं होता ?हाल के एक अध्ययन के तथ्य इसी आशंका की पुष्टी करते हैं.(देखें नीचे की लिंक)दिल्ली स्थित मानवाधिकार संगठन कॉमनवेल्थ ह्युमन राइटस् इनिशिएटिव(सीएचआरआई) के एक आकलन के मुताबिक बीते पंद्रह...

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छत्तीसगढ़ में सुरक्षित नहीं हैं बुजुर्ग- एनसीआरबी की रिपोर्ट

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सीनियर सिटीजन को सुरक्षा देने के मामले में पुलिस कमजोर साबित हो रही है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों से खुलासा हो रहा है कि प्रदेश में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों के लिए हुए अपराध के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें पायदान पर है। एनसीआरबी ने लगातार दूसरे वर्ष 2015 में भी दिल्ली को...

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बाढ़ से ज्यादा लोग मरते हैं या ठंढ़ से ?

अगर आप मानते हैं कि बाढ़, हिमपात, भूस्खलन, महांमारी या भूस्खलन से ज्यादा लोग मरते हैं और ठंढ़ से तो कम तो तनिक ठहरिए ! नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि हर साल बाढ़ या महामारी से जितने लोग नहीं मरते उससे कहीं ज्यादा लोग ठंढ़ के कारण जान गंवाते हैं.(देखें नीचे की लिंक) एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में कुल 913 लोगों ने ठंढ़ के कारण...

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राजस्थान-- तारीख पर तारीख लेकिन सुनवाई सिफर

राजस्थान में जेल-प्रशासन एक तिहाई विचाराधीन कैदियों को सुनवाई की तारीख पर अदालत में पेश नहीं कर पाता, क्या आप सोच सकते हैं क्यों ? विचाराधीन कैदियों को निर्धारित तारीख पर अदालत में पेश ना कर पाने की वजह है एस्कार्ट के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस-बल का ना होना ! मानवाधिकारों के लिए सक्रिय कॉमनवेल्थ ह्यूमनराइटस् इनिशिएटिव(सीएचआरआई) के एक हालिया अध्ययन के अनुसार बीते बीस सालों में राजस्थान के जेलों में...

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