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खेतिहर संकट | बेरोजगारी
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लेबर ब्यूरो की पांचवी सालाना एम्पलॉयमेंट-अनएम्पलॉयमेंट सर्वे(2015-16), खंड-1 साल 2015 के अप्रैल से दिसंबर के बीच हुए सर्वेक्षण पर आधारित है. सर्वेक्षण के लिए नमूने के रुप में 1,56,563 घरों का चयन ग्रामीण इलाके से तथा 67,780 घरों का चयन शहरी इलाके से हुआ. 

सर्वेक्षण में 7,81,793 व्यक्तियों का साक्षात्कार लिया गया जिसमें 4,48,254 व्यक्ति ग्रामीण घरों से तथा 3,33,539 व्यक्ति शहरी घरों से थे.

 

लेबर ब्यूरो(चंडीगढ़) के पांचवें सालाना एम्पलॉयमेंट-अनएम्पलॉयमेंट सर्वे(2015-16) के खंड-1( सितंबर 2016 में जारी) के मुख्य तथ्य :  Click here

 

•  अगर यूपीएस(यूजअल प्रिन्सपल स्टेटस्) को आधार बनायें तो राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 5.0 प्रतिशत है. ग्रामीण इलाकों के लिए बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत है जबकि शहरी इलाकों के लिए 4.9 प्रतिशत.

 

• राष्ट्रीय स्तर पर महिला कामगारों में बेरोजगारी की दर 8.7 प्रतिशत है जबकि पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 4.0 प्रतिशत का है.

 

• राष्ट्रीय स्तर पर श्रमबल प्रतिभागिता दर (लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट-एलएफपीआर) 50.3 प्रतिशत है. 

 

•ग्रामीण इलाकों में एलएफपीआर 53 प्रतिशत है जबकि शहरी इलाकों के लिए यह आंकड़ा 43.5 प्रतिशत का है.

 

•  भारत में महिला कामगारों के लिए एलएफपीआर राष्ट्रीय स्तर पर 23.7 प्रतिशत है जबकि पुरुष कामगारों के लिए 48 प्रतिशत जबकि ट्रांसजेंडर के लिए 48 प्रतिशत.

 

• यूपीएस पद्धति को आधार बनाते बनायें तो राष्ट्रीय स्तर पर वर्कर्स पॉपुलेशन रेशियो(डब्ल्यूपीआर) के 47.8 प्रतिशत होने के अनुमान हैं. 

 

• ग्रामीण इलाकों में डब्ल्यूपीआर के 50.4 प्रतिशत होने के अनुमान हैं जबकि शहरी इलाकों के लिए यह आंकड़ा 41.4 प्रतिशत का है.

 

• महिला कामगारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डब्ल्यूपीआर 21.7 प्रतिशत है जबकि पुरुष कामगारों के लिए 72.1 प्रतिशत तथा ट्रांसजेंडर के लिए 45.9 प्रतिशत.

 

• चाहे यूपीएस पद्धति को आधार बनायें या फिर यूपीपीएस(यूजअल प्रिन्सिपल एंड सब्सिडरी स्टेटस्) को रोजगार-प्राप्त लोगों में सर्वाधिक संख्या स्वरोजगार की श्रेणी में लगे कामगारों की है. 

 

• भारत में 46.6 प्रतिशत कामगार जीविका के लिए स्वरोजगार की श्रेणी में लगे हैं, अनियत कालिक रोजगार में लगे कामगारों की तादाद 32.8 प्रतिशत है जबकि 17 फीसद कामगार नियमित वेतन वाले रोजगार की श्रेणी में लगे हैं. शेष 3.7 प्रतिशत कामगार अनुबंध आधारित कामगार की श्रेणी में हैं.

 

•  राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 46.1 प्रतिशत कामगार कृषि, वानिकी तथा मत्स्यपालन के क्षेत्र में कार्यरत हैं. यह अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र कहलाता है. द्वितीयक( विनिर्माण) क्षेत्र में 21.8 प्रतिशत तथा तृतीयक क्षेत्र(सेवा) में 32 प्रतिशत कामगारों को रोजगार हासिल है. 

 

• भारत में स्वरोजगार में लगे 67.5 प्रतिशत कामगारों की औसत मासिक आमदनी 7500 रुपये से ज्यादा नहीं है. स्वरोजगार में लगे केवल 0.1 प्रतिशत कामगारों की आमदनी 1 लाख रुपये से ज्यादा है.

 

• इसी तरह नियमित वेतन/पारिश्रमिक पाने वाले 57.2 प्रतिशत कामगारों की औसत मासिक आमदनी 10 हजार रुपये से ज्यादा नहीं है. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 38.5 प्रतिशत अनुबंधित श्रेणी के कामगार तथा 59.3 प्रतिशत अनियतकालिक कामगारों की औसत मासिक आमदनी मात्र 5000 रुपये तक सीमित है.

 

• भारत में ज्यादातर बेरोजगार व्यक्ति जीविका पाने के लिए एक से ज्यादा तरीके अपनाते हैं, जैसे दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क साधना(24.1 प्रतिशत) तथा नौकरी के विज्ञापन के बरक्स आवेदन करना(23.7 प्रतिशत) और एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज का सहारा लेना(4.3 प्रतिशत).

 

• देशस्तर पर देखें तो बीए स्तर की शिक्षा प्राप्त 58.3 प्रतिशत तथा एमए स्तर तक की शिक्षा प्राप्त 62.4 प्रतिशत बेरोजगारों का कहना है उनकी शिक्षा या अनुभव के स्तर के लायक काम मौजूद नहीं है और यही उनकी बेरोजगारी का प्रधान कारण है. बीए स्तर की शिक्षा प्राप्त 22.8 प्रतिशत तथा एमए स्तर की शिक्षा प्राप्त 21.5 प्रतिशत बेरोजगारों का कहना था कि पारिश्रमिक कम होना उनकी बेरोजगारी का प्रधान कारण है.

 

• भारत में नियमित वेतन वाले 64.9 प्रतिशत कामगार तथा 95.3 प्रतिशत अनियतकालिक कामगार बिना किसी लिखित करार के जीविकोपार्जन में लगे हैं. नियमित वेतन वाले तकरीबन 27 प्रतिशत कामगार तथा अनुबंधित श्रेणी में आने वाले तकरीबन 11.5 प्रतिशत कामगार तीन साल या इससे अधिक अवधि के लिखित करार पर जीविकापार्जन में लगे हैं. 




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