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खेतिहर संकट | बेरोजगारी
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लेशन्स् फॉर सोशल प्रोटेक्शन फ्रॉम द कोविड-19 रिपोर्ट 1 & 2: स्टेट रिलीफ (फरवरी, 2021 में जारी) नामक रिपोर्ट (देखने के लिए यहां क्लिक करें) COVID -19 और भारत में लगे लॉकडाउन का उपयोग सामाजिक सुरक्षा के सुरक्षात्मक पहलू का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण समय के तौर पर देखता है, इस संबध में एक दूसरे से जुड़े तीन प्रश्ननों के जरिये इसे समझने का प्रयास किया गया है।

सबसे पहला प्रश्न है कि COVID -19 के प्रभाव से निपटने के लिए तत्काल राहत के उपाय क्या हैं और साथ ही लॉकडाउन में हमारी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की वर्तमान स्थिति कैसी है? दूसरा, इन उपायों से लॉकडाउन जैसी जटिल और विवश स्थितियों में प्रभावी रूप से राहत कैसे पहुंचाई जाए ? तीसरा, तात्कालिक राहत के लिये उठाए गए ये कदम न केवल मध्यम अवधि के लिए बल्कि दूरगामी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने और उसमे सुधार करने के लिए कैसे कारगर साबित होंगे?

लेखक गौतम भान, अंतारा राय चौधरी, नेहा मर्गोसा, किंजल संपत और निधि सोहने ने भारत सरकार द्वारा कोविड-19 माहामारी के दौरान लगाए गए चार चरणबद्ध लॉकडाउन और 20 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच 181 घोषणाओं का विश्लेषण किया है। शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में मुख्य रूप से सामाजिक सुरक्षा से निकटता से संबंधित तीन प्रकार की राहत पर ध्यान केंद्रित किया है जिसमें भोजन, नकदी हस्तांतरण और श्रम सुरक्षा शामिल है। यह रिपोर्ट इन तीन प्रकार की राहत से जुड़ी घोषणाओं, परिपत्रों, सूचनाओं और आदेशों पर केंद्रित है।

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट की संरचना करने वाले तीन प्रमुख विश्लेषणात्मक फ्रेम नियोजित किये हैं जिसमें आईडेंटिटी यानी पहचान, अधिकार की परिभाषा और वितरण तंत्र शामिल हैं। ये तीनों किसी भी सामाजिक सुरक्षा को समझने की मौजूदा प्रणाली के मुख्य घटक माने गए हैं। शोध का पहला हिस्सा पहचान पर केंद्रित है, जिसमें राहत स्कीम से जुड़ने के लिये जरूरी योग्यता, प्रत्यक्ष राहत के लिए डेटाबेस का उपयोग और जरूरी सत्यापन प्रक्रिया शामिल है।

शोध का दूसरा भाग अधिकार को परिभाषित करने पर जोर देता है, जिसमें आकलन किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान राहत के रूप में क्या दिया गया, साथ ही उन कारकों पर विचार किया गया जिन्होनें इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व किया है। वहीं शोध के तीसरे हिस्से में डिलीवरी तंत्र को देखा गया है, जो संचार के माध्यम, प्रक्रिया और एक उचित समय सीमा के भीतर सही व्यक्ति तक राहत पहुँचाने पर केंद्रित रहा।

लॉकडाउन के दौरान लागू किए गए राहत उपायों का एक बड़ा संग्रह हैं, जिसका आलोचनात्मक आकलन करना जरूरी है। इस दौरान पहले से जारी और नये उपायों के साथ मौजूदा वितरण तंत्र आगे बढ़ा है। साथ ही बीच-बीच में किए गए अस्थायी उपायों से भी राहत प्राप्त करने वालों की नई श्रेणियां, अधिकार के नए रूप और वितरण के नए तंत्र विकसित हुए हैं। हमारे लिये यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम इस समय लागू किए गए सामाजिक सुरक्षा उपायों की निरंतरता और नवाचार से सीखें ताकि कोविड-19 माहामारी के बाद भी इन सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को सुधारने की ओर काम किया जा सके।




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