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भूख | गरीबी और असमानता
गरीबी और असमानता

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What's Inside

 

देश के ग्रामीण अंचल के सामाजिक आर्थिक परिवेश के बारे में जुलाई 2015 में जारी की गई सामाजिक आर्थिक तथा जाति जनगणना 2015 (देखने के लिए  यहां क्लिक करेंअत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। ये जानकारियां ग्रामीण परिवारों से संबंधित आवास, भू-स्वामित्व, शैक्षिक परिदृश्य, महिलाओं की स्थिति, संपदा के स्वामित्व, आय आदि के बारे में हैं।

इस विशिष्ट जनगणना में 14 मानकों के आधार पर परिवारों के स्वत अपवर्जन तथा 5 मानकों के आधार पर स्वतः समावेशन की पद्धति अपनाकर उनकी वंचना की स्थिति तय की गई है। ये आंकड़े गरीबी के बहुपक्षीय आकलन से संबंधित हैं और ग्राम-पंचायत स्तर पर साक्ष्य आधारित आयोजना का अनूठा अवसर प्रदान करते हैं।

निम्नलिखित 14 मानकों के आधार पर किसी ग्रामीण परिवार को इस गणना में वंचित परिवार की कोटि से बाहर रखा गया है-

i.   मोटरचालित दोपहिया, तिपहिया अथवा चरपहिया वाहन होने की स्थिति में;

ii. अगर किसी परिवार के पास तिपहिया या चरपहिया खेती का मोटरचालित यंत्र हो;

iii. किसान क्रेडिट कार्ड होने की स्थिति में जब क्रेडिट कार्ड में क्रेडिट की सीमा 50,000/- रुपये से ज्यादा की हो;

iv.  अगर किसी परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी करता हो;

v.  अगर किसी परिवार के पास गैर-खेतिहर उद्यम हो और इसका पंजीकरण सरकार में हुआ हो;

vi.  अगर घर का कोई सदस्य प्रतिमाह दस हजार रुपये से ज्यादा कमाता हो;

vii. अगर घर का कोई सदस्य आयकर दाता हो;

viii. अगर घर का कोई सदस्य प्रोफेशनल टैक्स देता हो;

ix. अगर किसी परिवार के पास तीन या इससे ज्यादा कमरों का मकान हो और उसकी छत और दीवार पक्की हो;

x.  अगर परिवार के पास रेफ्रिजिरेटर हो;

xi.  अगर परिवार के पास लैंडलाईन फोन हो;

xii.  अगर किसी परिवार के पास 2.5 एकड़ से ज्यादा सिंचित भूमि हो और साथ में सिंचाई का एक उपकरण भी हो;

xiii.  किसी परिवार के पास पाँच एकड़ या उससे ज्यादा सिंचित भूमि हो और यह परिवार उस भूमि से साल के दो कृषि मौसमों में फसल उपजाता हो.;

xiv.  अगर किसी परिवार के पास साढ़े सात एकड़ से ज्यादा जमीन हो साथ ही उसके पास सिंचाई का कम से कम एक उपकरण हो

निम्नलिखित पाँच मानकों के आधार पर किसी परिवार को स्वतया वंचित परिवार की श्रेणी में रखा गया है-

i.  जिस परिवार के पास रहने का ठिकाना ना हो;

ii.  भीख या चंदे के सहारे जीवन बसर करता हो;

iii.  अगर परिवार मैला ढोने के काम में लगा हो;

iv. अगर कोई परिवार आदिम जनजाति श्रेणी का हो;

v.  अगर कोई वैधानिक रुप से बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया गया हो.

वंचित परिवार की श्रेणी में आने के लिए निर्धारित 7 मानक निम्नलिखित हैं:

i.  अगर किसी परिवार के पास सिर्फ एक कमरे का मकान हो, उसकी दीवार और छत कच्ची हो;

ii.  अगर किसी परिवार में 18 से 59 साल की उम्र का कोई भी व्यस्क सदस्य ना हो;

iii.  अगर परिवार की प्रधान महिला हो और इस परिवार में 16 से 59 साल की उम्र का कोई भी पुरुष मौजूद ना हो;

iv.  अगर किसी परिवार में विकलांग व्यक्ति हों और परिवार का अन्य कोई भी सदस्य शारीरिक रुप से सक्षम की श्रेणी में ना हो;

v.  अगर परिवार अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति श्रेणी का हो;

vi.  ऐसा परिवार जिसमें 25 साल या इससे अधिक उम्र का कोई भी सदस्य साक्षर ना हो;

vii. अगर कोई परिवार भूमिहीन हो और अपनी आमदनी का ज्यादातर हिस्सा  हाथ की मजदूरी के जरिए कमाता हो.

 2015 के जुलाई महीने में जारी किए गए सामाजिक आर्थिक एवं जातिगत जनगणना (www.secc.gov.in) के तथ्यों के अनुसार:

ग्रामीण परिदृश्य

देश में तकरीबन 73.4 प्रतिशत परिवार ग्रामीम क्षेत्रों में रहते हैं। देश में कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं जिसमें 17.91 करोड़ परिवार ग्रामीण हैं।

•  जनगणना में अपनाये गये 14 अपवर्जी मानकों के आधार पर पाया गया कि  ग्रामीण क्षेत्र में कुल अपवर्जित परिवारों की संख्या 7.05 करोड़ (39.4  प्रतिशत) है.

स्वतया समावेशन के लिए तयशुदा पाँच मानकों के आधार पर जनगणना में पाया गया कि 16.5  लाख परिवार अत्यंत ही गरीब हैं. यह संख्या कुल ग्रामीण परिवारों की संख्या का 0.92 प्रतिशत है.

जनगणना का आकलन है कि देश के ग्रामीण अंचल में तकरीबन 8.69 करोड़ यानी  48.5 परिवार निर्धारित सात मानकों में से किसी एक मानक के आधार पर वंचित श्रेणी में हैं.

ग्रामीण भारत में वंचित परिवार- एक नजर

•  सामाजिक आर्थिक एवं जातिगत जनगणना 2011 के अनुसार देश के ग्रामीण अंचल में तकरीबन 2.37  करोड़ परिवार (13.2 प्रतिशत) एक कमरे के मकान में रहते हैं जिसकी दीवार और छत कच्ची है.

•  ग्रामीण अंचल में तकरीबन 65.15 लाख परिवार (3.64  प्रतिशत)  ऐसे हैं जिनमें 18-59 साल की आयु का कोई भी व्यस्क व्यक्ति नहीं हैं.

ग्रामीण भारत में तकरीबन 68.96 लाख परिवार किसी महिला के अभिभावकत्व में हैं जो कि कुल ग्रामीण परिवारों का 3.85 प्रतिशत है. ऐसे घरों में कोई भी पुरुष सदस्य 16-19 वर्ष की आयु के बीच का नहीं है.

 •  ग्रामीण अंचल में तकरीबन 7.16 लाख (0.40 प्रतिशत)  परिवारों में शारीरिक रुप से विकलांग व्यक्ति हैं और ऐसे परिवार में कोई भी बालिग सदस्य शारीरिक रुप से सक्षम नहीं है.

•  ग्रामीण अंचल में अनुसूचित जाति और जनजाति के कुल 3.86 करोड़ परिवार हैं जो कि कुल परिवारों का 21.5 प्रतिशत है. 

 •  ग्रामीण अंचल में तकरीबन 4.21 करोड़ (23.5 प्रतिशत) परिवार ऐसे हैं जिनमें 25 साल या इससे ज्यादा उम्र का कोई भी व्यस्क सदस्य साक्षर नहीं है.

•  तकरीबन 5.37 करोड़ ( लगभग 30 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार भूमिहीन हैं और उनकी जीविका मुख्य रुप से हाथ से की जाने वाले मजदूरी पर निर्भर है.

 जीविका के स्रोत

•  तकरीबन 5.39 करोड़ ग्रामीण परिवार ( लगभग 30 प्रतिशत) जीविका के लिए  खेती-बाड़ी पर आश्रित हैं.

•  देश के ग्रामीण अंचल में 9.16 करोड़ ( लगभग 51.1 प्रतिशत) परिवार जीविका के लिए एक ना एक रुप में हाथ की मजदूरी पर आश्रित हैं.

•  राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो देश के 38.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अपनी आमदनी का ज्यादातर हिस्सा दिहाड़ी मजदूरी से हासिल करते हैं. नगालैंड में यह आंकड़ा 6.03 प्रतिशत का है जबकि तमिलनाडु में 55.8 प्रतिशत का. 

•  तकरीबन 44.84 लाख ग्रामीण परिवार (लगभग 2.5 प्रतिशत) ऐसे हैं जिन्हें पूर्णकालिक या अंशकालिक तौर पर घरेलू नौकर बनकर जीवन बसर करना पड़ता है.

•  तकरीबन 4.08 लाख ग्रामीण परिवार ( तकरीबन 0.23 प्रतिशत) कूड़ा-कचरा बीनकर जीविका कमाते हैं.

•  ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 28.87  लाख गैर-खेतिहर उद्यम (1.61  प्रतिशत) हैं.

•  गैर खेतिहर तथा सरकार में पंजीकृत उद्यम वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 2.73 प्रतिशत है. छत्तीसगढ़ के लिए यह आंकड़ा 0.57 प्रतिशत का है जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए 19.54 प्रतिशत का.

 •  तकरीबन 6.68 लाख (तकरीबन 0.37 प्रतिशत) भीख या दान से हासिल रकम या सामान के सहारे अपनी जीविका चलाते हैं। तमिलनाडु और मणिपुर में ऐसे निराश्रय लोगों की तादाद 0.05 प्रतिशत है जबकि पश्चिम बंगाल में 1.26 प्रतिशत.

 •  तकरीबन 2.5 करोड़ परिवार ( लगभग 14 प्रतिशत) सरकारी नौकरी, निजी क्षेत्र की नौकरी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हासिल नौकरी पर आश्रित हैं.

अपवर्जित श्रेणी में शामिल परिवारों के बारे में जानकारी

•  सिंचाई की सुविधा से संपन्न भूमि के स्वामित्व वाले परिवारों की संख्या ग्रामीण इलाकों में 25.63 प्रतिशत है. यह आंकड़ा छत्तीसगढ़ में 2.13 प्रतिशत और उत्तरप्रदेश में 50.31 प्रतिशत है.

 •  मोटरचालित तिपहिया या चौपहिया खेती-बाड़ी के उपकरण वाले परिवारों की संख्या 4.12 प्रतिशत है. केरल के लिए यह आंकड़ा 0.36 प्रतिशत का है जबकि पंजाब के लिए 16.16 प्रतिशत है.

•  ऐसे किसान-परिवार जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है और जिसकी क्रेडिट सीमा 50 हजार या उससे अधिक है, 3.62 प्रतिशत है. लक्षद्वीप के लिए यह आंकड़ा 0.24 प्रतिशत का है जबकि हरियाणा के लिए 9.63 प्रतिशत.

ऐसे किसान-परिवारों की तादाद जिनके पास जमीन तो नहीं है लेकिन किसान  क्रेडिट कार्ड है, 0.39 प्रतिशत है.  दादरा और नगरहवेली के लिए यह आंकड़ा 0.10 प्रतिशत और  दमन और दीयू के लिए 4.65  प्रतिशत का है.

 •   सिंचाई के उपकरण वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 9.87 प्रतिशत है. यह आंकड़ा अरुणाचल प्रदेश के लिए 0.72 प्रतिशत है जबकि हरियाणा के लिए 23.54 प्रतिशत.

 •  ऐसे परिवारों की संख्या जिनके पास जमीन तो नहीं है लेकिन सिंचाई के उपकरण है 0.89 प्रतिशत है.  जम्मू-कश्मीर के लिए यह आंकड़ा 0.15 प्रतिशत का है जबकि दमन और दियू के लिए 8.52 प्रतिशत है.

•  आयकर अथवा पेशवर कर चुकाने वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या 4.58 प्रतिसत है. छत्तीसगढ़ के लिए यह आंकड़ा 1.81 प्रतिशत का है जबकि अंडमान निकोबार के लिए 23.21% का.

•  राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे ग्रामीण परिवारों की संख्या जिनके पास किसी भी किस्म का फोन नहीं है 27.93 प्रतिशत है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए यह आंकड़ा 3.94 प्रतिशत का है तो छत्तीसगढ़ के लिए 70.88 प्रतिशत का.

•  सरकारी नौकरी वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या 5  प्रतिशत है. आंध्रप्रदेश के लिए यह आंकड़ा 1.93 प्रतिशत का है जबकि लक्षद्वीप के लिए 41.1 प्रतिशत का.

•   ऐसे ग्रामीण परिवारों की संख्या जिनमें सर्वाधिक आय अर्जित करने वाला कोई एक सदस्य 10 हजार या इससे अधिक कमाता है 8.29 प्रतिशत है. छत्तीसगढ़ के लिए यह आंकड़ा 3.2 प्रतिशत का है जबकि लक्षद्वीप के लिए 43.19 प्रतिशत का.

ऐसे ग्रामीण परिवारों की संख्या जिनके पास रेफ्रिजेरेटर है, 11.04 प्रतिशत है. बिहार के लिए यह आंकड़ा 2.61 प्रतिशत है जबकि गोवा के लिए 69.37 प्रतिशत.

•  ऐसे ग्रामीण परिवारों की संख्या जिनके पास मोटरचालित दुपहिया, तिपहिया या चौपहिया वाहन या मछली मारने वाली नौका है, 20.69 प्रतिशत है. त्रिपुरा के लिए यह आंकड़ा 8.09 प्रतिशत है जबकि गोवा के लिए 65.85 प्रतिशत. 


 

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