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भूख | गरीबी और असमानता
गरीबी और असमानता

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What's Inside

सबसे धनी 21 भारतीय अरबपतियों के पास 70 करोड़ भारतीयों से अधिक संपत्ति- ऑक्स्फैम इंडिया, पढ़ें रिपोर्ट की मुख्य बातें
भारत के सबसे धनी व्यक्ति की संपत्ति वर्ष 2022 में 46 प्रतिशत बढ़ी है।
ऑक्सफैम इंडिया ने "सरवाईवल ऑफ़ द रिचस्ट: द इंडिया स्टोरी" शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट ने भारत में बढ़ रही गैर–बराबरी की ओर ध्यान खींचने की कोशिश की है। रिपोर्ट के लिए कृपया यहां, यहां और यहां क्लिक कीजिए।
केवल 5 प्रतिशत भारतीयों के पास देश की संपत्ति का 60 प्रतिशत हिस्सा है जबकि आबादी के निचले 50 फीसदी लोगों के पास देश की संपत्ति का मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा है। यहीं आलम राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी के मामले में है, आबादी के निचले 50 फीसदी लोगों की राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी घटकर 13 प्रतिशत के आस-पास पहुँच गई है.


असमानता की दौड़


भारत में अरबपतियों की संख्या वर्ष 2020 में 102 से बढ़कर वर्ष 2022 में 166 हो गई। भारत के 100 सबसे धनीआदमियों के पास 54 लाख करोड़ की सम्पति है. सबसे धनी 10 भारतीयों की कुल संपत्ति 27 लाख करोड़ रुपए है. इनकी सम्पति में बढ़ोतरी पिछले वर्ष में 33 प्रतिशत की दर से हुई है. जब दुनियाभर मेहनतकश महामारी के समय में आर्थिक संकट से झुंझ रहे थे उसी दौर में दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति दोगुने स्तर पर पहुँच गई है।
वर्ष 2012 से 2021 तक के काल में सम्पति में हुई बढ़ोतरी, उछाल मार रही असमानता का एक और सबूत पेश करती है. कैपिटल में हुई बढ़ोतरी का 40 फीसदी हिस्सा अमीर 1 % लोगों के पास पहुंचा और नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या को मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा मिला. गौर करने वाली बात ये है कि भूख से त्रस्त भारतीयों की संख्या वर्ष 2018 मे 19 करोड़ थी, वर्ष 2022 में 35 करोड़ हो गई है। 
देश की आबादी के ऊपरी 30% का देश की सम्पति में हिस्सा बढ़कर 90 फिसद्सी तक पहुँच गया है. इसमें भी 10 अमीर बाशिंदों की बात करें तो देश की कुल सम्पति में हिस्सा 80 प्रतिशत के आस-पास ठहरता है.
सबसे अमीर 5 % लोगों के पास देश की कुल सम्पति का 62 प्रतिशत हिस्सा है. 
निचले 50 फीसदी लोगों के पास जितनी सम्पति है सबसे अमीर 1% के पास उसकी 13 गुणा है.

कर का ढांचा 


भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में निर्धनों से जबरन कर्ज वसूली की जाती है, पर अधिकतर सार्वजनिक बैंकों ने कारपोरेट क्षेत्र को दिए गए (11 लाख करोड़ रुपए के) कर्ज रद्द कर दिए।
विश्व स्तर पर धनी वर्ग को आय कर के मामले में पिछले 40 वर्ष से छुट दी जा रही है, जबकि जनसाधारण पर अप्रत्यक्ष कर का बोझ बढ़ा है। भारत में नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या ऊपर की 10 प्रतिशत की तुलना में अपनी आय का छः गुणा अधिक अप्रत्यक्ष करों पर खर्च करती है। 
वर्ष 2021-22 में जो 14.83 लाख करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में प्राप्त हुए, उसका 64 प्रतिशत हिस्सा नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या से प्राप्त हुआ जबकि ऊपर के 10 प्रतिशत से मात्र 3 प्रतिशत जीएसटी का हिस्सा प्राप्त हुआ।
कारपोरेट टैक्स में वर्ष 2019 में कमी की गई व छूट तथा प्रोत्साहन के रूप में वर्ष 2021 में 1,03,285 करोड़ रुपए का उन्हें लाभ मिला जो कि 1.4 वर्ष के लिए ज़रूरी मनरेगा बजट के बराबर है।

ऑक्सफैम इंडिया की सरकार से सिफारिशें-

 

  • सबसे धनी 1 प्रतिशत की संपत्ति पर कर- सबसे धनी अभिजातों का नीति निर्धारण व राजनीति में बहुत प्रभाव है, जिससे उनकी संपत्ति बढ़ते जाने में भी मदद मिलती है। इस चक्र को तोड़ने के लिए सबसे ऊपर के 1 प्रतिशत धनी व्यक्तियों की संपत्ति पर स्थाई तौर पर कर लगना चाहिए, व अत्यधिक धनी व्यक्तियों से अधिक कर प्राप्ति पर समुचित ध्यान देना चाहिए। संपत्ति टैक्स, विंडफाल टैक्स व इनहेरिटेंस टैक्स के माध्यम से अधिक संसाधन जुटाने चाहिए।

 

  • निर्धन व सीमान्त लोगों पर कर का बोझ कम करना- जो निर्धन व मध्यम वर्ग के दैनिक उपयोग व जरूरत की वस्तुए हैं, उन पर जीएसटी की दर कम करनी चाहिए व विलासिता की वस्तुओं पर जीएसटी की दर बढ़ानी चाहिए। इस तरह कर व्यवस्था समतावादी बन सकेगी।
  • स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार-राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के प्रावधान के अनुसार स्वास्थ्य के लिए आवंटन को वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत कर देना चाहिए ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य मजबूत हो सके व लोगों पर बोझ कम हो सके, वे किसी स्वास्थ्य के संकट का सामना बेहतर ढंग से कर सकें।

 

  • विभिन्न सामाजिक-आर्थिक श्रेणियों व क्षेत्रीय आधार पर स्वास्थ्य क्षेत्र में जो विषमताएं हैं, उन्हें दूर करना चाहिए। जिला अस्पतालों से जुड़े हुए मेडिकल कालेज खोलने चाहिए, विशेषकर पर्वतीय, आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में ताकि स्वास्थ्य सेवाओं व स्वास्थ्यकर्मियों की कमी न रहे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, व सरकारी अस्जतालों को बेहतर व मजबूत करना चाहिए, वहां पर्याप्त डाक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था होनी चाहिए, व जरूरी साज-समान उपलब्ध होना चाहिए ताकि उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवा आवास व कार्यस्थल के 3 किमी. के दायरे में उपलब्ध हो सके।

 

  • शिक्षा में सुधार- शिक्षा के लिए सरकार के बजट के आवंटन के बारे में यह व्यापक मान्यता है कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत होना चाहिए। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी मान्यता मिली है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार को योजनाबद्ध ढंग से आवंटन बढ़ाना चाहिए। शिक्षा में मौजूदा विषमताओं को दूर करने के लिए इसके अनुकूल कार्यक्रमों को बढ़ना चाहिए, जैसे कि अनुसूचित जातियों व जनजातियों के छात्रों, विशेषकर छात्राओं के लिए मैट्रिक के पहले व बाद की छात्रवृत्तियां।
  • मजदूरों की सुरक्षा व बेहतर स्थिति-कठिन दौर से गुजरते हुए व महंगाई से जूझते हुए मजदूरों की सुरक्षा बढ़ाने व उनकी आर्थिक व कार्यस्थितियों को मजबूत करने के लिए प्रयास महत्त्वपूर्ण हैं।


 

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