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भूख | गरीबी और असमानता
गरीबी और असमानता

गरीबी और असमानता

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वर्ल्ड बैंक द्वारा प्रस्तुत एंडिंग एक्स्ट्रिम पॉवर्टी, शेयरिंग प्रॉस्पेरिटी:प्रोग्रेस एंड पॉलिसिज (अक्तूबर 2015) नामक दस्तावेज के अनुसार: (देखने के लिए यहां क्लिक करें.)

भारत की स्थिति

2012 में किसी भी देश के मुकाबले भारत में सबसे ज़्यादा गरीब आबादी थी लेकिन राहत की बात यह है कि गरीबी दर की जहां तक बात है तो बड़े गरीब देशों के बीच भारत का नंबर सबसे नीचे है।

बैंक के मुताबिक 'भारत में 2012 के दौरान सबसे ज्यादा संख्या में गरीब थे लेकिन यहां इनकी गरीबी की दर उन देशों में सबसे कम थी जहां सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं।

•  साल 2012 में भारत में गरीबों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा थी लेकिन नयी आकलन पद्धति को अमल में लाने से पता चलता है कि भारत में गरीबों की संख्या वास्तविक से ज्यादा बतायी जाती रही है. उपभोग के आंकड़ों के संग्रहण की पद्धति में परिवर्तन से पता चलता है भारत में गरीबी की दर 21.2 प्रतिशत से कम होकर 12.4 प्रतिशत पर आ गई है.

•  वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार गरीबों की संख्या में परिवर्तन यूनिफार्म रेफरेंस पीरियड की जगह मोडफाइड मिक्स्ड रेफरेंस पीरियड को आधार बनाने के कारण दिखायी देता है.

यूनिफार्म रेफरेंस पीरियड में नेशनल सैंपल सर्वे के तहत सन् 1950 से लोगों के उपभोग पर किए गए व्यय की गणना के लिए उनसे बीते 30 दिन की अवधि में भोजन तथा अन्य चीजों पर किए गए खर्च के बारे में पूछा जाता है. लेकिन मोडफाइड मिक्स्ड रेफरेंस पीरियड में 30 दिन की जगह उपभोग पर किए गए व्यय की गणना के लिए 7 दिन की अवधि ली जाती है. यह अवधि भोज्य-पदार्थों पर किए गए खर्च के लिए होती है. साथी ही एक वर्ष की अवधि में भोज्य-पदार्थों से इतर सामग्री की खरीद पर किए गए खर्च के बारे में पूछा जाता है जिसे नेशनल सैंपल सर्वे ने 2009-10 की गणना में अपनाया.

•     वर्ष 2015 के दौरान गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.

•    वर्ष 1990 में गरीबी में कमी लाने के प्रयास आरंभ हुए जिसके तहत वर्ष 2030 तक गरीबी को समाप्त किया जायेगा.

•    वर्ष 2012 में 12.8 प्रतिशत अथवा 902 मिलियन लोग गरीबी से प्रभावित थे जबकि वर्ष 2015 में 702 मिलियन अथवा 9.6 प्रतिशत लोग गरीबी से प्रभावित दर्ज किये गये.

•    गरीबी में सबसे अधिक गिरावट विकासशील देशों में दर्ज की गयी. जो कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा में अधिक निवेश का परिणाम है.

•    गरीबी समाप्त करने के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों में शामिल हैं - धीमी वैश्विक वृद्धि दर, अस्थिर वित्तीय बाजार, संघर्ष, उच्च युवा बेरोज़गारी एवं जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव.

•    पिछले कुछ दशकों से, तीन क्षेत्रों, पूर्वी एशिया एवं पसिफ़िक, दक्षिण एशिया एवं सब-सहारा अफ्रीका में विश्व की 95 प्रतिशत गरीबी दर्ज की गयी.

•    सभी क्षेत्रों में गरीबी में गिरावट दर्ज की गयी, जबकि उन्हीं देशों में जहां संघर्ष व्याप्त है गरीबी में वृद्धि देखी गयी

•    सब-सहारा क्षेत्र में गरीबी में भारी गिरावट दर्ज की गयी. वर्ष 1990 में यह 56 प्रतिशत थी जो वर्ष 2015 में 35 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.

•    लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियन देशों में वर्ष 2012 के 6.2 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2015 में 5.6 प्रतिशत तक गिरावट देखी जा सकती है.

•    दक्षिण एशिया में गरीबी का वर्ष 2012  18.8 प्रतिशत का आंकड़ा वर्ष 2015 में 13.5 प्रतिशत पर पहुंच सकता है.  


 

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