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भूख | गरीबी और असमानता
गरीबी और असमानता

गरीबी और असमानता

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What's Inside

 

ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स(एमपीआई) यानी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक जार्ज वाशिंग्टन यूनिवर्सिटी से संबद्ध शोधकर्ताओं ने तैयार किया है. साल 2014 का ग्लोबल एमपीआई इंडेक्स 108 देशों में व्याप्त बहुआयामी गरीबी की गहराई के बारे में सूचना देता है. यह सूचकांक पारिवारिक स्तर पर स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन-स्तर के मामले में व्याप्त वंचना की स्थितियों की प्रकृति और विस्तार का मापन करता है. ग्लोबल एमपीआई निर्देशांक के जरिए पता चलता है कि गरीब कौन है और वह किन स्थितियों की वजह से गरीब है. यह पता होने से नीति-निर्माता संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं और गरीबी हटाने के लिए बेहतर योजनाओं का निर्माण कर सकते हैं. वैश्विक बहुआयामी गरीबी निर्देशांक गरीबी की गहराई का पता देता है. यह बताता है कि किसी एक ही समय में कोई व्यक्ति अभाव की कितनी स्थितियों से गुजर रहा होता है.

ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स 2014(जून माह में प्रकाशित) के मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं; (देखने के लिए कृपया  यहां क्लिक करें)

भारतीय परिदृश्य

भारत में वंचित लोगों की तादाद 34 करोड़ 30 लाख 50 हजार है- भारत की कुल आबादी में 28.5% फीसदी लोग वंचित की श्रेणी में हैं.

एमपीआई के लिहाज से भारत दक्षिण एशिया में सर्वाधिक गरीब देशों में दूसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर युद्ध-जर्जर अफगानिस्तान है.

• 90 देशों के गरीबों में सर्वाधिक असमानता वाले देश भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, यमन, सोमालिया शामिल हैं.

वैश्विक परिदृश्य

एमपीआई 2014 में 108 देशों को शामिल किया गया है. इन देशों में विश्व की कुल आबादी का 78% हिस्सा रहता है. कुल 1 अरब 60 करोड़ यानी 30 फीसदी लोगों को निर्देशांक के हिसाब से बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त कहा जाएगा..

बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त 1 करोड़ 60 लाख लोगों में 85 प्रतिशत ग्रामीण हैं जबकि आमदनी आधारित गरीबों के आकलन में गरीबों की 70 से 75 फीसदी तादाद को ग्रामीण बताया जाता है.
 
बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त 1 करोड़ 60 लाख लोगों 52 फीसदी लोग दक्षिण एशिया में रहते हैं और 29 फीसदी उपसहारीय अफ्रीका में. बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त सर्वाधिक(71प्रतिशत) लोगों मंझोली आमदनी वाले देशों के निवासी हैं.

बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त लोगों की सर्वाधिक संख्या(प्रतिशत पैमाने पर) नाइजर में है. इस देश की 89.3% आबादी बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त है.

तकरीबन हर वह देश जिसने बहुआयामी गरीबों की संख्या कम करने में सफलता पायी है, वहां गरीबों के बीच व्याप्त असमानता में भी कमी आई है.

सर्वाधिक कम विकसित देश तथा निम्न आयवर्ग में शामिल देशों में बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त लोगों की संख्या(अविकल पैमाने पर) में सबसे ज्यादा कमी आई है.

नेपाल में पाँच सालों(2006 से 2011) में बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त लोगों की संख्या 65 फीसदी से घटकर 44 फीसदी रह गई है.

दक्षिण एशिया में कुल मिलाकर 42 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से ग्रस्त है.

 


 

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