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पर्यावरण | पानी और साफ-सफाई
पानी और साफ-सफाई

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एनएसएस के 76वें दौर की एनएसएस रिपोर्ट नंबर 584: भारत में पेयजल, साफ-सफाई, स्वच्छता और आवास की स्थिति, जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 (23 नवंबर 2019 को जारी) के प्रमुख निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.
 
एनएसएस के 76वें दौर की एनएसएस रिपोर्ट नंबर 584: भारत में पेयजल, साफ-सफाई, स्वच्छता और आवास की स्थिति, एनएसएस 76वें दौर, जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 (23 नवंबर 2019 को जारी) तक पहुंचने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.
 
 
• घरों में पीने के पानी का प्रमुख स्रोत ग्रामीण इलाकों में हैंड पंप था और शहरी इलाकों में पानी को घरों तक पहुंचाया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 42.9 प्रतिशत घरों में पीने के पानी के मुख्य स्रोत के रूप में हैंड पंप का उपयोग किया जाता है और शहरी क्षेत्रों में लगभग 40.9 प्रतिशत घरों में पाइप द्वारा घरों तक पहुंचाए गए पीने के पानी को पेयजल के मुख्य स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 48.6 प्रतिशत परिवारों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 57.5 प्रतिशत घरों में पीने के पानी के मुख्य स्रोत तक पहुंच थी.
 
• मोटे तौर पर ग्रामीण इलाकों में 87.6 प्रतिशत घरों और शहरी इलाकों में लगभग 90.9 प्रतिशत घरों में मुख्य स्रोत से पूरे साल पीने का पानी होता है.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 58.2% प्रतिशत घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 80.7 प्रतिशत घरों में घर के आंगन के भीतर ही पीने के पानी की सुविधा थी.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 94.5 प्रतिशत घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 97.4 प्रतिशत घरों में ‘पेयजल के लिए स्वच्छ जल’ का उपयोग किया जाता है.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 51.4 प्रतिशत घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 72.0 प्रतिशत परिवारों ने घर के आंगन में स्थित पेयजल स्रोत का उपयोग किया, जो पूरे वर्ष में पर्याप्त रूप से उपलब्ध था.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 56.6 प्रतिशत घरों में और शहरी क्षेत्रों में लगभग 91.2 प्रतिशत घरों में बाथरूम बने हुए थे.
 
• जिन घरों में बाथरूम की सुविधा थी, उनमें ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 48.4 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 74.8 प्रतिशत आवासीय प्रांगण से जुड़े बाथरूम थे.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 71.3 प्रतिशत घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 96.2 प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा थी. यह गौरतलब है कि घर में शौचालय होने की रिपोर्टिंग में प्रतिक्रियात्मक पूर्वाग्रह हो सकता है क्योंकि सरकारी योजनाओं से परिवारों को प्राप्त होने वाले लाभों पर सवाल पूछा गया था.
 
• ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में घरों में उपयोग किए जाने वाले शौचालय के तौर पर सेप्टिक टैंक में फ्लश का चलन मुख्यत है. ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 50.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 48.9 प्रतिशत घरों में सेप्टिक टैंक वाले शौचालय के लिए फ्लश उपयोग किया जाता है.
 
• जिन घरों में शौचालय बने हुए थे, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 94.7 प्रतिशत पुरुष और 95.7 प्रतिशत महिलाएँ नियमित रूप से शौचालय का उपयोग करती थीं, जबकि शहरी इलाकों में लगभग 98.0 प्रतिशत पुरुष और 98.1 प्रतिशत महिलाएँ नियमित रूप से शौचालय का उपयोग करती थीं.
 
• जिन घरों में शौचालय बने हुए थे, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 93.8 प्रतिशत पुरुष और 94.6 प्रतिशत महिलाएँ नियमित रूप से इम्प्रूवड लैट्रीन का उपयोग करती थीं, जबकि शहरी क्षेत्रों के पुरुषों और महिलाओं दोनों में से लगभग 97.2 प्रतिशत नियमित रूप से इम्प्रूवड लैट्रीन का उपयोग करते थे.
 
• जिन घरों में शौचालय की सुविधा थी, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 3.5 प्रतिशत घरेलू सदस्य और शहरी क्षेत्रों में लगभग 1.7 प्रतिशत घरेलू सदस्य कभी शौचालय का उपयोग नहीं करते थे.
 
• जिन घरों में शौचालय बने हुए थे, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 4.5 प्रतिशत घरों में और शहरी क्षेत्रों में लगभग 2.1 प्रतिशत परिवारों ने बताया कि उनके शौचालय में उपयोग करने के लिए पानी की उपलब्धता नहीं थी.
 
• ग्रामीण इलाकों में लगभग 48.0 प्रतिशत घरों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 86.1 प्रतिशत घरों में घर के भीतर ही बाथरूम और शौचालय दोनों थे.
 
• ग्रामीण क्षेत्रों में मोटे तौर पर 96.0 प्रतिशत परिवार और शहरी क्षेत्रों में लगभग 63.8 प्रतिशत घरों में स्वयं का घर था.
 
• घरों में रहने वाले परिवारों में, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 96.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 91.5 प्रतिशत परिवार अपने मकान का उपयोग केवल आवासीय उद्देश्य के लिए कर रहे थे.
 
• घरों में रहने वाले परिवारों में, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 89.0 प्रतिशत परिवारों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 56.4 प्रतिशत परिवारों के पास स्वतंत्र घर थे.
 
• घरों में रहने वाले परिवारों में, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 76.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 96.0 प्रतिशत परिवारों के पास पक्के घर थे.
 
• घरों में रहने वाले परिवारों में, ग्रामीण क्षेत्रों में आवास इकाई का औसत फर्श क्षेत्र लगभग 46.6 वर्ग मीटर था और शहरी क्षेत्रों में लगभग 46.1 वर्ग मीटर था.
 
• घरों में रहने वाले परिवारों में, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 93.9 प्रतिशत परिवारों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 99.1 प्रतिशत परिवारों के पास घरेलू उपयोग के लिए बिजली थी.
 


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