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पर्यावरण | पानी और साफ-सफाई
पानी और साफ-सफाई

पानी और साफ-सफाई

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What's Inside

http://www.economics.harvard.edu/files/faculty/36_ARRE_CLE
AN_2010_04_14.pdf
:

 

सालान 10 लाख 60 हजार बच्चों की मौत डायरिया या फिर पेट की ऐसी बीमारियोंसे होती है जिनका सीधा रिश्ता प्रदूषित पेयजल है।

 

प्रदूषित पेयजल से सबसे ज्यादा खतरा कमउम्र बच्चों को होता है। गौरतलब है कि महिलायें और बच्चे ही सबसे ज्यादा पानी एकत्र करने का काम करते हैं।.

 

बहुविध जांच से पता चलता है कि पानी का शोधन कीमत के लिहाज से भी जेब पर ज्यादा भारी नहीं पड़ने वाला और इससे डायरिया के मामलों में भारी कमी आ सकती है। बहरहाल पानी के बहुतेरे उपभोक्ता साफ पानी के लिए अपनी जेब से रकम खर्च करने को तैयार नहीं हैं। मौजूदा व्यवस्था(रीटेल मॉडल) के तहत महज 10 फीसदी घरों में ही शोधित पानी के लिए रकम खर्च की जाती है।

 

यदि पानी भरने की जगह पर क्लोरिन का घोल निशुल्क वितरित किया जाय, और इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रोमोटर रखे जायें तो संशोधित पेयजल की उपलब्धता 10 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच सकती है।

 

कई मामलों की जांच से संकेत मिलते हैं कि उपभोक्ता पेयजल के सहज सुलभ होने के जो स्वास्थ्येतर फायदे हैं उसे महत्वपूर्ण मानते हैं, और इस कारण पेयजल की सहज सुलभता के लिए रकम खर्च करने को तैयार हैं।

 

पानी की मात्रा और पानी की गुणवत्ता का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है इसे अलग-अलग जांचने की जरुरत है क्योंकि पानी की उपलब्धता को संभव बनाने के लिए जो हस्तक्षेप किए जाते हैं उनका पानी की मात्रा और गुणवत्ता पर अलग-अलग प्रभाव होता है। मिसाल के लिए क्लोरिन का इस्तेमाल पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है ना कि उसकी मात्रा को। ठीक इसी तरह उन घरों में म्यूनिस्पैल्टी की तरफ से पानी की नलियां पहुंचाना जहां अभी तक स्टैंडपाईप का इस्तेमाल हो रहा है, पेयजल की उपलब्ध मात्रा पर असर करता है ना कि उसकी गुणवत्ता पर।

 

पानी की मात्रा बढ़ जाय और उसको हासिल करना भी सुगम हो जाय तो लोगों के लिए बार-बार हाथ धोना, नहाना या फिर कपड़े-बर्तन आदि धोना मुश्किल नहीं होगा, इसका असर सामान्य साफ-सफाई पर पड़ेगा और जल-जनित बीमारियों का खतरा भी कम होगा। इस बात के गहरे संकेत मिलते हैं कि हाथ धोने से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।



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