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What's Inside

एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 तक भारत कुल जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ देगा.11 जुलाई,2022 इसी अनुमान के अनुसार 15 नवम्बर, 2022 तक विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब तक पहुँच जाएगी. यह अनुमान हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक विभाग ने "वर्ल्ड पापुलेशन प्रोस्पेक्ट्स" नाम से जारी की एक रिपोर्ट में लगाया है. (पूरी रिपोर्ट यहाँ)
रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सघन जनसंख्या वाले दोनों इलाके भी एशिया महाद्वीप में ही हैं- 2.3 अरब जनसंख्या के साथ पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया, 2.1 अरब जनसंख्या के साथ सेंट्रल और दक्षिणी एशिया. यह दोनों इलाके मिलकर विश्व की कुल जनसंख्या का 54% भाग अपने पास रखते हैं.


जानते हैं अन्य प्रमुख बातें-

 

  • वर्ष 2100 में, वर्तमान में अनुमानित की गई जनसंख्या की तुलना में 43 करोड़ जनसंख्या कम होगी. क्योंकि तब तक भारत की कुल प्रजनन दर घटकर प्रति महिला 1.29 हो जाएगी. यह अनुमान वाशिंगटन युनिवर्सिटी में स्थित इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड एवेल्युसन (iHME)नामक संस्थान ने लगाया है.
  • वर्तमान में, जनसंख्या में बढ़ोतरी 1% से भी कम हो गई है. यह सन् 1950 से अब तक की कम बढ़ोतरी है. अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या आठ अरब पचास करोड़ तक पहुँच जाएगी.यह आंकड़ा वर्ष 2050 तक नौ अरब सत्तर करोड़ हो जाएगा.
  • जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी का शिखर वर्ष 2080 को आएगा( दस अरब 40 करोड़) जो वर्ष 2100 तक बनी रहेगी.
  • किसी भी क्षेत्र की आबादी मुख्यत: दो कारकों पर निर्भर करती है- 1. मृत्युदर में कमी. 2. जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी. वर्ष 2019 में जीवन प्रत्याशा बढ़कर 72.8 वर्ष पहुँच गई. मृत्युदर में कमी आने से अनुमान है कि वर्ष 2050 तक जीवन प्रत्याशा बढ़कर 77.2 वर्ष हो जाएगी.
  • वर्तमान में 'जन्म के समय' महिला की जीवन प्रत्याशा पुरुष की तुलना में अधिक है. (वैश्विक स्तर पर 5.4 वर्ष) पुरुष के लिए जीवन प्रत्याशा 68.4 वर्ष है तो महिलाओं के लिए  73.8 वर्ष है.
  • जीवन प्रत्याशा के बीच का यह अंतर सबसे अधिक दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में ( सात वर्ष), ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलेंड में सबसे कम (2.9 वर्ष).
  • विश्व सन् 1950 में प्रजनन दर 5 बच्चे प्रति महिला थे जो घटकर वर्ष 2021 में प्रजनन दर 2.3 बच्चे प्रति महिला ( प्रजनन काल में  - 15 वर्ष से 49 वर्ष) हो गया है.

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नेता टीवी कार्यक्रमों से लेकर गली कुचों में घूमते हुए कानून बनाने की बात करते हैं. यह रिपोर्ट बताती है कि जहाँ पर सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश की गई है या यूँ कहें स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है वहां प्रजनन दर में कमी आई है.


दुनिया में दस देश ऐसे हैं जहाँ से पलायित हो रहे प्रवासियों की संख्या 10 लाख से अधिक है. यहाँ हो रहे पलायन के पीछे कई कारक प्रमुख हैं.


पाकिस्तान (-16.5 मिलियन)
इंडिया ( -3.5 मिलियन)
बांग्लादेश ( -2.9 मिलियन)
नेपाल (-1.6 मिलियन)
श्रीलंका (-1.0  मिलियन)
सीरिया (-4.6  मिलियन)
वेनेजुएला (-4.8 मिलियन)
म्यांमार (-1.0 मिलियन)


(-) संकेत देश से बहार जाने वालें लोगों की संख्या को दर्शा रहा है.
{ऊपर कोष्ठक में दिए गए आंकड़े नेट फ्लो हैं यानी किसी देश से जाने वाले लोगों में से आने वालें लोगो को घटाकर जो परिणाम आए वो नेट फ्लो है.}

(Please click here to know how the Total Fertility Rate of various states/UTs changed between 2015-16 i.e., NFHS-4 and 2019-21 i.e., NFHS-5)




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