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सशक्तीकरण | नरेगा और सोशल ऑडिट
नरेगा और सोशल ऑडिट

नरेगा और सोशल ऑडिट

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What's Inside

मौजूदा स्थिति

 

कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जेनरल द्वारा प्रस्तुत साल २००८ की रिपोर्ट संख्या ११ के अनुसार-

http://cag.gov.in/html/reports/civil/2008_PA11_nregacivil/
introduction.pdf
:

 

·अरुणाचलप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर , पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु यानी तेरह राज्यों की सरकार ने साल २००७ के मार्च महीने तक नरेगा के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम नहीं बनाए थे।

 

·अरुणाचलप्रदेश, आंध्रप्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल. मध्यप्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, उड़ीसा, पंजाब, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी सोलह राज्यों की सरकार के पास ग्राम पंचायत के स्तर पर नरेगा के अन्तर्गत काम देने ,काम का परीक्षण और अनुमोदन करने की कोई समय सारणी तैयार नहीं थी।

 

· कुल अट्ठारह राज्यों ने ग्रामीण रोजगार गारंटी आयुक्त के नाम से अधिकारी की नियुक्ति की थी लेकिन अरुणाचलप्रदेश, हिमाचलप्रदेश, कर्नाटक, नगालैंड,त्रिपुरा और उत्तरप्रदेश यानी कुल सात राज्यों में इस अधिकारी की नियुक्ति २००७ के मार्च तक नहीं हो पायी थी।

 

· अरुणाचलप्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र,मेघालय, नगालैंड, उड़ीसा, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु,त्रिपुरा उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी कुल बीस राज्यों के १०२ प्रखंडों में पूर्णकालिक प्रोग्राम ऑफिसर की नियुक्ति नहीं हुई थी।इन प्रखंडों को नमूने के तौर पर जांच के लिए चुना गया था। इन प्रखंडों में प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बीडीओ को ही नरेगा के प्रोग्राम ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंप दी गी थी।

 

· नमूने के तौर पर कुल ६८ जिलों की जांच में पाया गया कि असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश. झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र , मणिपुर, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी कुल १४ राज्यों के ४० जिलों में डिस्टि्रकिक्ट परस्पेक्टिव प्लान(डीपीपी) की तैयारी नहीं हो पायी थी।

 

· जांच में पाया गया कि आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी कुल बीस राज्यों के ३२३ ग्राम पंचायतों में इस आशय का कोई सर्वेक्ष घर-घर घूमकर नहीं किया गया था कि कौन व्यक्ति नरेगा के अन्तर्गत काम पाने के लिए अपने नाम का पंजीकरण करवाना चाहता है और कौन नहीं।

 

· जांच के दौरान पाया गया कि आंध्रप्रदेश, बिहार छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा, सिक्किम, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी कुल सोलह राज्यों के १९६ प्रखंडों में जॉब कार्ड जारी करने में देरी की गई।

 

· जांच के दौरान पाया गया कि आंध्रप्रदेश, असम,बिहार छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी तेरह राज्यों के कुल २५१ प्रखंडों में जॉब-कार्ड जारी करते समय आवेदनकर्ता की तस्वीर जॉबकार्ड पर नहीं साटी गई।

 

· बिहार छत्तीसगढ़, हरियाणा,हिमाचलप्रदेश,झारखंड,उड़ीसा, और उत्तरप्रदेश, यानी सात राज्यों में जिलास्तर पर मजदूरी और साजो-सामान के बीच ६0:0 के अनुपात का पालन नहीं किया गया।

·अरुणाचलप्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल., मणिपुर, मेघालय, पंजाब, सिक्किम, त्रिपुरा उत्तरप्रदेश, और उत्तराखंड की सरकारों ने नरेगा के लिए जिला स्तर पर मजदूरी के दरों की अनुसूचि (डिस्ट्रिक्ट वाइज शिड्यूल ऑव रेटस्) नहीं तैयार किये थे।

 

·आंध्रप्रदेश, बिहार छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल.,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,मणिपुर,उड़ीसा,पंजाब,राजस्थान और तमिलनाडु यानी बारह राज्यों के ७९ ग्राम पंचायतों में सात घंटे काम करने के बावजूद मजदूरों को निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान किया गया।

 

·आंध्रप्रदेश, बिहार छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचलप्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, मणिपुर, उड़ीसा, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के यानी १७ राज्यों के २१३ ग्राम पंचायतों में मजदूरों को समय पर(यानी काम जिस दिन किया गया उसके एक पखवाड़े के भीतर) मजदूरी नहीं मिली। देरी से मजदूरी के भुगतान के एवज में कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया।

 

·जांच के दौरान पाया गया कि अरुणाचलप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचलप्रदेश, झारखंड,कर्नाटक,केरल,.,मणिपुर,मेघालय , नगालैंड, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा उत्तरप्रदेश,और उत्तराखंड यानी कुल १७ राज्यों में मजदूरों को काम मांगने के १५ दिन के अंदर काम मुहैया ना कराने पर दिया जाने वाला बेरोजगारी भत्ता, नहीं दिया जा सका।

 

·असम, बिहार,हरियाणा,हिमाचलप्रदेश,झारखंड,कर्नाटक,केरल,,मणिपुर,मेघालय, नगालैंड, उड़ीसा,पंजाब, उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यानी कुल १५ राज्यों २४६ ग्राम पंचायतों में मस्टर रोल सार्वजनिक जांच-परख के लिए उपलब्ध नहीं था।



Rural Expert
 

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