Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
सशक्तीकरण | नरेगा और सोशल ऑडिट
नरेगा और सोशल ऑडिट

नरेगा और सोशल ऑडिट

Share this article Share this article

What's Inside

पिनाकी चक्रवर्ती द्वारा प्रस्तुत आलेख इम्पलिमेंटेशन ऑव द रुरल एम्पलायमेंट गारंटी एक्ट इन इंडिया-स्पैशियल डायमेंशन एंड फिस्कल इम्पलिकेशन(बोर्ड कालेज) के अनुसार-
http://papers.ssrn.com/sol3/papers.cfm?abstract_id=1000215

 

· भारत की संसद ने साल 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी नरेगा को लागू किया।इसके अन्तर्गत एक वित्तीय वर्ष के भीतर सौ दिनों के रोजगार की गारंटी प्रदान की गई है।इस गारंटी का लक्ष्य ग्रामीण परिवारों के बेरोजगार व्यस्क सदस्यों को रोजगार प्रदान करना है बशर्ते वे अकुशल श्रम के अन्तर्गत आने वाले हाथ के काम करने को तैयार हों।

 

· इस अधिनियम से पहले भी लोक-रोजगार के कार्यक्रम चलाये गए थे लेकिन इन कार्यक्रमों का लक्ष्य गरीबी उन्मूलन से जुड़ा हुआ था।नरेगा सिर्फ गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम नहीं है।इसमें रोजगार को वैधानिक अधिकार का दर्जा दिया गया है।नरेगा से पहले भारत में सरकार द्वारा चलाए गए रोजगार गारंटी कार्यक्रम का एकमात्र उदाहरण महाराष्ट्र रोजगार गारंटी स्कीम है।महाराष्ट्र में साल 1970-73 के दौरान भयंकर सूखा पडा था।इसी गैरमामूली हालात में गरीबी उन्मूलन के लिए यह कार्यक्रम चलाया गया था।

 

· नरेगा का लक्ष्य गरीबी को दूर करने के साथ-साथ रोजगार को एक वैधानिक अधिकार का दर्जा प्रदान करना भी है।इस कार्यकर्म को शक की नजर से देखने वाले लोगों का कहना है कि यह एक लोक-लुभावन उपाय है जबकि इस कार्यक्रम के प्रशंसक इसे गरीबी उन्मूलन और गरीबों के सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम के रुप देखते हैं।

 

· साल 1980 और 1990 के दशक में,दसवीं पंचसाला योजना के दौरान रोजगार वृद्धि की दर बहुत ज्यादा कम हो गई थी। 1993-94 और 1999-2000 के बीच ग्रामीण रोजगार की बढ़ोत्तरी की दर 0.5 फीसदी थी जबकि साल 1983 और 1993-94 के बीच यह दर 1.7 फीसदी थी।यही नहीं साल 1993-94 और 1999-2000 के बीच ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर(करेंट डेली स्टेटस्) 5.63 फीसदी से बढ़कर 7.21 फीसदी हो गई।

 

· एक तरफ बरोजगारी की दर में इजाफा हुआ दूसरे ग्रामीण रोजगार कार्यक्रमों में इन सालों के दौरान सरकारी खर्चे में कटौती की गई।इस लिहाज से नरेगा को लागू करना एक उचित और समय की कसौटी पर खड़ा उतरने वाला कदम था। हालांकि रोजगार के सकल आंकड़े रोजगार वृद्धि में कमी की सूचना देते हैं परंतु राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण का बेरोजगारी की दर से संबंधित आकलन कहता है कि 1999-2000 के दौरान पुरूष कामगारों में सिर्फ दो फीसदी और महिला कामगारों में दो फीसदी से भी कम लोग अमूमन बेरोजगार(यूजवली अनएम्पलायड) की कोटि में थे।

 

· बेरोजगारी की दर कम होने के बावजूद ग्रामीण इलाकों मे आयगत निर्धनता की परिघटना बरोजगारी की तुलना में चार गुना ज्यादा है।इसका मतलब यह कि जो लोग काम नहीं मिलने के कारण गरीब हैं उनकी तुलना में गरीबों की संख्या कहीं ज्यादा है।·

 

नरेगा के प्रावधान

 

नरेगा के विविध प्रावधानों में से कुछ इस प्रकार हैं-: (i)इसके अन्तर्गत हर वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार के कम से कम एक व्यस्क व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा तय की गई मजदूरी की दर पर सौ दिनों तक काम प्रदान करने की व्यवस्था है बशर्ते काम करने वाला अकुशल दर्जे के भीतर आने वाले काम करने को तैयार हो। ; (ii) इस योजना का एक लक्ष्य ग्रामीण इलाके के गरीब लोगों के लिए जीविका के संसाधनों को मजबूत आधार प्रदान करना है।राज्य सरकार इसके लिए ऐसे कामों की सूची तैयार करेगी जिन्हें करने की अनुमति दी जा सकती है और ऐसे कामों की भी सूची तैयार की जाएगी जिन्हें वरीयता देकर करवाया जाना है। (iii)जहां तक संभव हो इस कार्यक्रम में अकुशल श्रमिक का दर्जा प्राप्त मजदूरों को कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। (iv) मजदूरी का भुगतान नकद भी किया जा सकता है या नकद सहित अनाज आदि के रुप में भी लेकिन इस सूरत में नकद मजदूरी कुल मजदूरी के एक चौथाई से कम नहीं होनी चाहिए।; (v) काम के लिए आवेदन करने वाला आवेदन करते समय जहां का निवासी है उस स्थान से पाँच किलोमीटर के दायरे में ही उसे काम दिया जाएगा।अगर काम इस दायरे से बाहर दिया जाता है तो हर हालत में यह काम आवेदनकर्ता के प्रखंड के अन्तर्गत ही होना चाहिए, साथ ही उसे आने-जाने और रहने के मद में 10 फीसदी मजदूरी अलग से दी जानी चाहिए। (vi) अगर कार्यस्थल पर आयी महिलाओं के साथ छह साल से कम उम्र के पाँच से ज्यादा बच्चे हों तो ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए एक व्यक्ति कार्यस्थल पर अलग से नियुक्त किया जाना चाहिए और इस व्यक्ति को न्यूनतम मजदूरी की तय दर के हिसाब से भुगतान किया जाना चाहिए । (vii)मजदूरों के लाभ के लिए चलायी जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं मसलन स्वास्थ्य बीमा,दुर्घटना बीमा,उत्तरजीवी के लाभार्थ चलने वाली योजना,मातृत्व लाभ और सामाजिक सुरक्षा योजना के मद में मजदूरी का एक हिस्सा काटा जा सकता है लेकिन किसी भी सूरत में यह कटौती मजदूरी के लिए भुगतान की जाने वाली रकम के पाँच प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी।

 


Rural Expert
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close